दूरसंचार विभाग (DoT) ने मोबाइल आधारित साइबर धोखाधड़ी से निपटने के लिए वित्तीय धोखाधड़ी जोखिम संकेतक (FRI) शुरू किया है।
- यह संकेतक दूरसंचार और वित्तीय दोनों क्षेत्रकों में संदिग्ध धोखाधड़ी के खिलाफ त्वरित, लक्षित एवं सहयोगात्मक कार्रवाई को सक्षम बनाता है।
वित्तीय धोखाधड़ी जोखिम संकेतक (FRI) क्या है?
- यह जोखिम-आधारित मापीय साधन है, जो किसी मोबाइल नंबर को वित्तीय धोखाधड़ी के मध्यम, उच्च या बहुत उच्च जोखिम से संबद्ध के रूप में वर्गीकृत करता है।
- यह वर्गीकरण राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (NCRP), दूरसंचार विभाग की चक्षु सुविधा और डिजिटल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म (DIP) से प्राप्त इनपुट तथा बैंकों एवं वित्तीय संस्थानों द्वारा साझा की गई खुफिया जानकारी पर आधारित है।
- यह बैंकों, NBFCs और UPI सेवा प्रदाताओं जैसे हितधारकों को उच्च जोखिम वाले मोबाइल नंबरों पर ध्यान केंद्रित करने तथा ग्राहक सुरक्षा संबंधी अतिरिक्त उपायों को लागू करने में सक्षम बनाएगा।
भारत में साइबर वित्तीय धोखाधड़ी की स्थिति पर एक नजर
- वित्त वर्ष 2020 और 2024 के बीच लगभग 3,207 करोड़ रुपये मूल्य के साइबर धोखाधड़ी के 5,82,000 मामले दर्ज किए गए थे।
- वित्तीय धोखाधड़ी के कुछ सामान्य तरीके हैं: KYC संबंधी धोखाधड़ी, ग्राहक सेवा संबंधी धोखाधड़ी, UPI संबंधी धोखाधड़ी, कार्ड संबंधी धोखाधड़ी, डिजिटल अरेस्ट संबंधी धोखाधड़ी, निवेश संबंधी धोखाधड़ी, जल्दी अमीर बनाने की योजनाएं आदि।

Article Sources
1 sourceभारत सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड (NSAB) में एक नए अध्यक्ष के साथ-साथ 7 नए सदस्यों की नियुक्ति की है।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड के बारे में
- इसका गठन पहली बार दिसंबर 1998 में केंद्र सरकार से बाहर के प्रतिष्ठित व्यक्तियों की एक सलाहकार संस्था के रूप में किया गया था। इस बोर्ड में उद्योग और मीडिया जगत, सिविल सोसाइटी इत्यादि के सदस्य शामिल होते हैं।
- इसे राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (NSC) सचिवालय द्वारा सहायता प्रदान की जाती है।
- कार्य: राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर दीर्घकालिक विश्लेषण प्रदान करना तथा इस बारे में राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (NSC) को अपना विचार प्रदान करना।
- यह बोर्ड राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद द्वारा सौंपे गए किसी विषय पर उपायों और नीतिगत विकल्पों की भी सिफारिश करता है।
संयुक्त राष्ट्र-आतंकवाद-रोधी कार्यालय (UNOCT) ने आतंकवाद पीड़ित संघों का नेटवर्क (VoTAN) शुरू किया है। यह आतंकवाद के पीड़ितों और बचे लोगों को सहायता देने वाला एक वैश्विक नेटवर्क है।
VoTAN के बारे में
- पृष्ठभूमि: स्पेन और इराक की अध्यक्षता में “द ग्रुप ऑफ फ्रेंड्स ऑफ विक्टिम्स ऑफ टेररिज्म” की स्थापना लगभग छह साल पहले आतंकवाद पीड़ितों के अधिकारों की रक्षा के लिए की गई थी।
- स्थापना: यह नेटवर्क “आतंकवाद के पीड़ितों पर संयुक्त राष्ट्र वैश्विक कांग्रेस 2022” का एक प्रमुख आउटकम है।
- लक्ष्य:
- आतंकवाद से पीड़ितों और बचे लोगों को एक-दूसरे का समर्थन करना,
- उन्हें चुनौतियों का सामना करने में सक्षम बनाना;
- उन्हें अधिवक्ताओं, शिक्षकों और शांति-स्थापकों के रूप में संलग्न होने के लिए अवसर प्रदान करना।
- वित्तीय सहायता: स्पेन से प्राप्त होती है।
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1 sourceभारत ने स्वदेशी रूप से विकसित एंटी-ड्रोन सिस्टम, भार्गवास्त्र का सफलतापूर्वक परीक्षण किया।
भार्गवास्त्र के बारे में
- यह एक कम लागत वाली, 'हार्ड किल' एंटी-ड्रोन प्रणाली है। इसे स्वार्म ड्रोन्स को निष्क्रिय करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
- स्वार्म ड्रोन्स वास्तव में कई मानव-रहित हवाई वाहनों (UAVs) के समूह होते हैं। ये सभी समन्वित प्रणाली के रूप में एक-साथ कार्य करते हैं।
- इसे सोलर डिफेंस एंड एयरोस्पेस लिमिटेड (SDAL) ने विकसित किया है।
- मुख्य विशेषताएं
- दो-परत (लेयर) सुरक्षा प्रणाली:
- लेयर 1: गैर-निर्देशित माइक्रो-रॉकेट्स- 20 मीटर के भीतर स्वार्म ड्रोन्स को निष्क्रिय करने की क्षमता।
- लेयर 2: सटीक निशाने के लिए निर्देशित माइक्रो-मिसाइल्स।
- रेंज: ड्रोन को 2.5 कि.मी. की रेंज तक पहचान सकता है। रडार से 6 से 10 कि.मी. तक हवाई खतरे का पता लगा सकता है।
- क्षेत्र की अनुकूलता: 5000 मीटर से अधिक की ऊंचाई पर भी प्रभावी।
- मॉड्यूलर डिजाइन: इसमें जैमिंग और स्पूफिंग जैसे "सॉफ्ट किल" विकल्प भी जोड़े जा सकते हैं।
- C4I-सक्षम कमांड सेंटर: यह नेटवर्क आधारित वारफेयर को और बेहतर बनाता है।
- दो-परत (लेयर) सुरक्षा प्रणाली:
भारतीय नौसेना तथा रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने स्वदेशी रूप से विकसित मल्टी-इन्फ्लुएंस ग्राउंड माइन (MGM) का सफल परीक्षण किया।
मल्टी-इन्फ्लुएंस ग्राउंड माइन (MGM) के बारे में
- यह एक अत्याधुनिक अंडरवाटर नौसैनिक माइन है। इसे शत्रुओं के आधुनिक स्टील्थ पोतों और पनडुब्बियों की पहचान करने की भारतीय नौसेना की क्षमताओं को मजबूत करने के लिए विकसित किया गया है।
- इसे DRDO के तहत नेवल साइंस एंड टेक्नोलॉजिकल लेबोरेटरी (NSTL) ने डिजाइन और विकसित किया है।
- मुख्य विशेषताएं:
- यह कई प्रकार के सेंसर्स का उपयोग करके दुश्मन के समुद्री जहाजों से निकलने वाले ध्वनिक (acoustic), चुम्बकीय (magnetic), और दबाव (pressure) संकेतों का पता लगाती है।
- इसमें प्रोसेसर युक्त इलेक्ट्रॉनिक्स लगे हैं, जो डेटा को प्रोसेस करके उचित करवाई करते हैं।
- इसे जहाजों और पनडुब्बियों से तैनात किया जा सकता है।
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1 sourceहाल ही में, अमेरिका ने भारत को हॉकआई 360 तकनीकी उपकरण की बिक्री को मंजूरी दी है ताकि भारत अपनी निगरानी क्षमता को बढ़ा सके।
हॉकआई 360 तकनीक के बारे में
- इसके तहत रेडियो फ्रीक्वेंसी (RF) सिग्नल्स का पता लगाने, जिओलोकेट करने और उनका विश्लेषण करने के लिए निम्न भू-कक्षा में मौजूद तीन उपग्रहों के समूहों का उपयोग किया जाता है।
भारत के लिए महत्व
- यह उन जहाजों का पता लगा सकता है जो विवादित या संवेदनशील क्षेत्रों में ट्रैकिंग से बचने के लिए अपने ऑटोमेटिक आइडेंटिफिकेशन सिस्टम (AIS) को बंद कर देते हैं।
- इससे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत की समुद्री क्षेत्र संबंधी जागरूकता बढ़ेगी।
- भारतीय सशस्त्र बल अब मछली पकड़ने की अवैध गतिविधियों और तस्करी पर पहले से कहीं अधिक प्रभावी ढंग से निगरानी रखने और कार्रवाई करने में सक्षम होंगे।
भारतीय थल सेना को शत्रुओं के ड्रोन, हेलीकॉप्टर और जेट विमानों से निपटने के लिए नए रूसी इग्ला-एस मिसाइल सिस्टम प्राप्त हुए हैं।
इगला-एस (Igla-S) के बारे में
- इगला-एस मैन-पोर्टेबल है यानी इसे एक आदमी भी ढो सकता है। यह कंधे से दागी जाने वाली व सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल है। इसे अधिक खगाइडेंस तरे वाले क्षेत्रों में तैनात जमीनी सुरक्षा बलों द्वारा उपयोग के लिए विशेष रूप से डिजाइन किया गया है।
- यह वेरी शॉर्ट रेंज एयर डिफेंस सिस्टम (VSHORADS) का एक अत्याधुनिक संस्करण है।
- प्रमुख विशेषताएं:
- यह इन्फ्रारेड (IR) होमिंग तकनीक का उपयोग करती है। यह हवाई लक्ष्यों की हीट सिग्नेचर को पहचान करके उन्हें निशाना बनाती है।
- मिसाइल दागे जाने के बाद, यह स्वतः टारगेट के इंजन से निकलने वाली हीट का पीछा करती है।
- यह विशेषता इसे ड्रोन, हेलीकॉप्टर जैसे तेज और छोटे लक्ष्यों को निशाना बनाने में कुशल बनाती है।
- रेंज: 6 किलोमीटर दूर तक तथा यह 3.5 किलोमीटर की ऊँचाई तक के लक्ष्य को भेद सकती है।
CBI ने ‘ऑपरेशन हॉक’ शुरू किया है, जिसका उद्देश्य बच्चों के ऑनलाइन यौन शोषण से जुड़े वैश्विक साइबर अपराध नेटवर्क के खिलाफ कार्रवाई करना है।
- यह कार्रवाई ऑपरेशन कार्बन (2021) और ऑपरेशन मेघ चक्र (2022) की अगली कड़ी है। इनका उद्देश्य बच्चों के ऑनलाइन यौन शोषण के अंतर्राष्ट्रीय नेटवर्क जुड़े संदिग्धों की पहचान करना और उनके नेटवर्क को समाप्त करना है।
Article Sources
1 sourceयुद्धाभ्यास | विवरण |
IMDEX एशिया 2025 | भारतीय नौसेना का पोत INS किल्टन अंतर्राष्ट्रीय समुद्री रक्षा प्रदर्शनी (IMDEX) एशिया 2025 के 14वें संस्करण में भाग लेने के लिए सिंगापुर पहुंचा। IMDEX एशिया के बारे में
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नोमैडिक एलीफेंट युद्धाभ्यास
| भारत-मंगोलिया के मध्य संयुक्त युद्धाभ्यास नोमैडिक एलीफेंट का 17वां संस्करण मंगोलिया के उलानबटोर में आयोजित किया जाएगा।
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