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सामाजिक विलगाव (Social Isolation)

19 Aug 2025
1 min

सुर्ख़ियों में क्यों?

हाल ही में, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 'अकेलेपन से सामाजिक जुड़ाव तक: स्वस्थ समाजों के लिए मार्ग तैयार करना' (From Loneliness to Social Connection: Charting a Path To Healthier Societies) नामक रिपोर्ट जारी की है। यह रिपोर्ट स्वास्थ्य, कल्याण और समाज पर सामाजिक विलगाव एवं अकेलेपन के प्रभाव पर प्रकाश डालती है।

सामाजिक जुड़ाव और विलगाव क्या है?

  • सामाजिक जुड़ाव उन कई तरीकों के बारे में है, जिनसे हम दूसरों से जुड़ते हैं और उनके साथ अंतर्क्रिया करते हैं। इसमें परिवार, दोस्त, सहपाठी, सहकर्मी, पड़ोसी आदि शामिल होते हैं।
  • सामाजिक विलगाव: यह तब होता है, जब किसी व्यक्ति के पास पर्याप्त सामाजिक संपर्क नहीं होता, या उसे अपने रिश्तों से सहयोग और समर्थन नहीं मिलता, या उसके रिश्ते तनावपूर्ण या नकारात्मक होते हैं। इसके दो प्रकार होते हैं:
    • अकेलापन (Loneliness): यह तब महसूस होता है, जब किसी व्यक्ति की अपेक्षित और वास्तविक जुड़ाव की स्थिति में अंतर होता है।
    • सामाजिक अलगाव (Social Isolation): जब किसी व्यक्ति के बहुत कम मित्र, रिश्तेदार या जान-पहचान के लोग होते हैं, या वह दूसरों से बहुत कम मिलता-जुलता है, तो इसे सामाजिक अलगाव कहा जाता है।

रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर

  • सामाजिक विलगाव की व्यापकता: 2014-2023 तक के आंकड़ों के अनुसार लगभग प्रत्येक 6 में से 1 व्यक्ति अकेलापन महसूस करता है। इनमें युवा (13-29 वर्ष) सबसे अधिक अकेलापन महसूस करते हैं।
    • 1990-2022 तक के आंकड़ों के अनुसार प्रत्येक 3 में से 1 वृद्ध वयस्क तथा 2003-2018 तक के आंकड़ों के अनुसार प्रत्येक 4 में से 1 किशोर सामाजिक रूप से विलगाव की स्थिति में है।
  • असमानताएं: निम्न आय वाले देशों में लगभग 24% लोग अकेलापन महसूस करते हैं, जबकि अमीर देशों में यह आंकड़ा 11% है।
  • सामाजिक विलगाव के प्रभाव: 
    • शारीरिक स्वास्थ्य पर प्रभाव: वैश्विक स्तर पर 2014-2019 के दौरान लगभग 871,000 मौतें अकेलेपन से संबंधित थी।
    • मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव: इसमें अवसाद, एंजायटी, डिमेंशिया आदि शामिल हैं। 
    • सामाजिक-आर्थिक प्रभाव: इसमें खराब शैक्षणिक प्रदर्शन और उत्पादकता की हानि शामिल हैं।

सामाजिक जुड़ाव को सुधारने हेतु रोडमैप

  • नीति: सामाजिक जुड़ाव या संपर्क को प्रोत्साहित करने के लिए राष्ट्रीय नीति बनानी चाहिए। ऐसा कदम डेनमार्क, फिनलैंड, जर्मनी समेत 8 देशों ने उठाया है।
  • अनुसंधान: वैश्विक और राष्ट्रीय स्तर पर अनुसंधान क्षमता का निर्माण करना चाहिए तथा सामाजिक संपर्क में ग्रैंड चैलेंजेस को शुरू करना चाहिए।
  • हस्तक्षेप: इंटरवेंशन एक्सलेरेटर शुरू किया जाना चाहिए, जो लोगों को जोड़ने वाले नए तरीकों को तेजी से लागू कर सके। साथ ही, सामुदायिक अवसंरचना (जैसे पार्क, सामुदायिक केंद्र आदि) और सेवाओं को मजबूत किया जाना चाहिए, ताकि लोग आपस में मिलजुल सकें।
  • बेहतर मापन: यह जानने के लिए कि समाज आपस में कितना जुड़ा हुआ है, एक वैश्विक सामाजिक जुड़ाव सूचकांक (Social Connection Index) तैयार किया जाना चाहिए।
  • जन सहभागिता: व्यापक जन जागरूकता अभियान, आयोजन, समूह गतिविधियां और सोशल प्रिस्क्रिप्शन (डॉक्टरों द्वारा सामुदायिक गतिविधियों में भाग लेने का सुझाव) को बढ़ावा देना चाहिए।

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