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पंचायती राज संस्थाओं का वित्त-पोषण (PRI FINANCES) | Current Affairs | Vision IAS
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पंचायती राज संस्थाओं का वित्त-पोषण (PRI FINANCES)

Posted 19 Aug 2025

Updated 26 Aug 2025

1 min read

सुर्ख़ियों में क्यों?

हाल ही में, ग्रामीण विकास और पंचायती राज संबंधी संसदीय स्थायी समिति ने पंचायती राज व्यवस्था के अंतर्गत निधियों के अंतरण (Devolution of funds) पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत की।

अन्य संबंधित तथ्य 

  • रिपोर्ट में इस बात पर ज़ोर दिया गया है कि 73वें संविधान संशोधन के तीन दशक बीत जाने के बावजूद, पंचायतों को 3Fs (कार्य, निधि और पदाधिकारी) का हस्तांतरण अभी भी अधूरा, बिखरा हुआ एवं राज्यों के स्तर पर असमान बना हुआ है।
  • इसके अलावा, इसमें पंचायती राज संस्थाओं (PRIs) के सामने अभी भी मौजूद वित्तीय समस्याओं पर भी ध्यान केंद्रित किया गया है।

PRIs के वित्त-पोषण संबंधी मुद्दे

  • PRIs को घटता बजटीय आवंटन: लगातार आने वाले केंद्रीय बजटों ने PRIs के लिए आवंटित निधियों में कमी की है। इससे राजकोषीय विकेंद्रीकरण को खतरा पैदा हो गया है।
  • बंधे और खुले अनुदानों में असंतुलन: 15वें वित्त आयोग के तहत PRIs को दिए जाने वाले अनुदान दो भागों में बांटे गए हैं:
    • बिना शर्त अनुदान (40%): स्थानीय जरूरतों के अनुसार उपयोग किया जा सकता है।
    • सशर्त अनुदान (60%): यह अनुदान स्वच्छता जैसे विशिष्ट उद्देश्यों के लिए उपयोग किया जाता है। 
      • हालांकि, इसका कई बार पूर्ण उपयोग भी नहीं हो पाता है। 
  • पंचायत चुनावों में देरी: ऐसा कानूनी या प्रशासनिक बाधाओं के कारण होता है। जैसे- तेलंगाना में OBC आरक्षण के कार्यान्वयन में देरी हुई है।
    • यह निधियों के प्रभावी उपयोग में एक बड़ी बाधा है।
  • जिला नियोजन समिति (DPC) के कामकाज में समस्याएं: इसके परिणामस्वरूप, खंडित नियोजन और निधियों का कम उपयोग हुआ है।
    • नगरपालिकाओं और पंचायतों द्वारा तैयार की गई योजनाओं को समेकित करने के लिए राज्य द्वारा जिला स्तर पर DPC की स्थापना की जाती है।
  • राज्य वित्त आयोगों (SFCs) का अनियमित गठन: संवैधानिक आदेशों के बावजूद, केवल 9 राज्यों ने ही छठे राज्य वित्त आयोग का गठन किया है।
    • इसके परिणामस्वरूप, PRIs को वित्तीय अंतरण में देरी हो रही है।
  • ई-ग्राम स्वराज पोर्टल पर ग्राम पंचायत विकास योजनाओं (GPDP) को अपलोड करने में खराब अनुपालन: इससे PRIs को 15वें वित्त आयोग (FC) द्वारा अनुशंसित अनुदान जारी करने में बाधा आई है।
  • स्वयं के स्रोतों से (Own-Source Revenue: OSR) कम राजस्व सृजन: RBI के अनुसार, पंचायत उनके कुल राजस्व का केवल 1.1 प्रतिशत ही अपने स्वयं के स्रोतों से सृजित कर पाती हैं। 
    • इसके परिणामस्वरूप, उनकी वित्तीय स्वायत्तता कम हुई है।

PRIs के लिए वित्त का महत्व

  • ग्रामीण विकास: PRIs वास्तविक लाभार्थियों की पहचान करके और उन्हें स्थानीय आवश्यकताओं से जोड़कर केंद्र एवं राज्य की योजनाओं को जमीनी स्तर पर लागू करते हैं।
  • कृषि विकास: PRIs सहकारी कृषि विकास का समर्थन करती हैं। जैसे- पंचायत स्तर पर शुरू किया गया अमूल; सामाजिक वानिकी जैसी संधारणीय प्रथाओं का समर्थन आदि।
  • सतत विकास लक्ष्य (SDGs-2030): पंचायतें, SDGs के स्थानीयकरण द्वारा इन लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करती हैं।
  • स्वास्थ्य: PRIs स्वास्थ्य केंद्रों, क्लीनिकों और औषधालयों का रखरखाव एवं स्थापना करके तथा  स्थानीय स्वास्थ्य समुदाय कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण आदि प्रदान करके स्वास्थ्य में योगदान देती हैं।
  • RBI के अनुसार, जिन राज्यों की पंचायतों को स्वास्थ्य, पोषण और स्वच्छता में उच्च अंक मिले हैं, वहां ग्रामीण शिशु मृत्यु दर भी कम है। 
  • शिक्षा: PRIs शैक्षणिक संस्थानों के निर्माण और रखरखाव; नामांकन को प्रोत्साहित करने; स्कूल छोड़ने की दर को कम करने; शैक्षिक गुणवत्ता की निगरानी करने आदि के लिए जिम्मेदार होती हैं।
  • महिला सशक्तीकरण: PRIs महिलाओं के लिए एक-तिहाई आरक्षण निर्धारित करके शासन में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाती हैं।
  • अध्ययनों से पता चला है कि जब महिलाएं स्थानीय शासन में शामिल होती हैं, तो शिक्षा, स्वास्थ्य और बाल कल्याण जैसे नीतिगत क्षेत्रकों में अक्सर महिलाओं की जरूरतों पर विशेष ध्यान देने के साथ सुधार होता है।

PRIs की वित्तीय स्थिति में सुधार हेतु पहलें

  • ऑडिट ऑनलाइन एप्लीकेशन: इसे पंचायती राज मंत्रालय (MoPR) द्वारा पंचायत लेखाओं का ऑनलाइन ऑडिट करने के लिए लॉन्च किया गया है।
  • स्वयं के राजस्व स्रोतों से राजस्व वृद्धि हेतु
    • स्वामित्व (SVAMITVA) डेटा का उपयोग संपत्ति कर निर्धारण के लिए किया जाता है।
    • जिला खनिज प्रतिष्ठान निधि को PRIs के साथ साझा किया जाता है। 
  • PRIs के लिए रैंकिंग प्रणाली: कार्य निष्पादन अनुदान हेतु पात्रता मानदंड तय करना।
  • ई-ग्राम स्वराज पोर्टल: पारदर्शिता और जवाबदेही के लिए PRIs की सभी GPDPs अपलोड की जाती हैं।

रिपोर्ट में की गई सिफारिशें

  • पुनःआवंटन लचीलापन: वित्त के उपयोग को अनुकूलित करने के लिए निर्धारित उद्देश्यों के अलावा अन्य उद्देश्यों के लिए भी सशर्त निधियों के उपयोग की अनुमति देनी चाहिए। 
    • पिछड़ेपन, क्षेत्र जैसे वस्तुनिष्ठ मानदंडों पर आधारित सूत्र-आधारित तंत्र के माध्यम से समय पर और पर्याप्त सशर्त निधियों की उपलब्धता सुनिश्चित करनी चाहिए।
  • चुनाव में देरी की स्थिति में निरंतरता: चुनाव समय पर होने चाहिए; हालांकि, अपरिहार्य देरी की स्थिति में, निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए एक स्पष्ट तंत्र स्थापित किया जाना चाहिए।
    • उदाहरण के लिए- स्पष्ट रूप से परिभाषित जिम्मेदारियों के साथ एक नामित प्रतिनिधि की नियुक्ति करनी चाहिए।
  • राज्य वित्त आयोगों (SFCs) का नियमित गठन: राज्य वित्त आयोगों का समय पर गठन करने और एक समान एवं सरल प्रारूपों में रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए उच्चतम स्तर पर राज्यों को शामिल करना चाहिए।
  • समय पर GPDPs अपलोड सुनिश्चित करना: GPDPs की उचित तैयारी और प्रस्तुति के लिए पंचायत सदस्यों को प्रशिक्षित करना, तथा उन्हें ब्लॉक/ जिला योजनाओं के साथ संरेखित करना।
  • पर्याप्त हस्तांतरण: प्रत्येक राज्य द्वारा PRIs को शक्तियों के हस्तांतरण के लिए एक समयबद्ध रोडमैप तैयार करना चाहिए। उदाहरण के लिए- स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं जैसे स्थानीय कार्मिकों पर प्रशासनिक नियंत्रण पंचायतों को हस्तांतरित किया जाना चाहिए।
    • साथ ही, पंचायती राज मंत्रालय द्वारा प्रत्येक राज्य में 3Fs पर प्रगति को मापने वाली "हस्तांतरण की स्थिति रिपोर्ट" तैयार करनी चाहिए। 
  • स्वयं के स्रोतों से राजस्व सृजन को मजबूत करना: राजस्व सृजन के लिए वित्तीय एवं तकनीकी सहायता प्रदान करनी चाहिए; पंचायतों को अधिक शक्तियां हस्तांतरित करनी चाहिए, और अच्छा प्रदर्शन करने वाली PRI को प्रोत्साहित करना चाहिए।
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