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मताधिकार हेतु आयु सीमा में कटौती (Lowering of Age for voting) | Current Affairs | Vision IAS
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मताधिकार हेतु आयु सीमा में कटौती (Lowering of Age for voting)

Posted 19 Aug 2025

Updated 26 Aug 2025

1 min read

सुर्ख़ियों में क्यों? 

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक महत्वपूर्ण प्रवृत्ति देखी जा रही है, जहां जर्मनी, ऑस्ट्रिया, माल्टा, एस्टोनिया, अर्जेंटीना और निकारागुआ जैसे कई राष्ट्रों ने अपने नागरिकों के लिए मतदान की न्यूनतम आयु 18 वर्ष से घटाकर 16 वर्ष निर्धारित कर दी है।

अन्य संबंधित तथ्य

  • इसी क्रम में, हाल ही में यूनाइटेड किंगडम द्वारा भी मताधिकार की आयु को 18 से 16 वर्ष करने की घोषणा की गई है।
  • भारत में, मतदान की आयु को 18 वर्ष से घटाकर 17 वर्ष करने के लिए अनुच्छेद 326 में संशोधन हेतु एक संविधान (संशोधन) विधेयक, 2020 प्रस्तुत किया गया था।
    • यह एक गैर-सरकारी सदस्य विधेयक था।

भारत में मतदान की आयु से संबंधित संवैधानिक प्रावधान

  • भारतीय संविधान का अनुच्छेद 326 देश के प्रत्येक उस नागरिक को सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार प्रदान करता है, जो 18 वर्ष की आयु पूरी कर चुका हो।
    • भारत में मतदान की आयु को 61वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1988 द्वारा 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष किया गया था।
    • 'मतदान का अधिकार' एक वैधानिक अधिकार है, जिसे संसद के साधारण कानून द्वारा संशोधित किया जा सकता है।

मतदान की आयु कम करने के पक्ष और विपक्ष में तर्क

पक्ष में तर्क

विपक्ष में तर्क

बौद्धिक एवं संज्ञानात्मक क्षमता: विशेषज्ञों का एक वर्ग यह मानता है कि 16 वर्षीय किशोरों में राजनीतिक मुद्दों पर स्वतंत्र निर्णय लेने हेतु आवश्यक संज्ञानात्मक परिपक्वता एवं तार्किक क्षमता विकसित हो जाती है।

अपरिपक्वता एवं सूचना का अभाव: आलोचकों का मत है कि किशोरों में अपेक्षित परिपक्वता, सूचनात्मक गहराई और राजनीतिक जागरूकता का अभाव होता है। इससे वे राजनीतिक हेरफेर के प्रति अधिक संवेदनशील हो सकते हैं।

अंतर-पीढ़ीगत न्याय का सिद्धांत: वर्तमान व्यवस्था में कई देशों में वयस्कों के लिए मतदान की कोई ऊपरी आयु सीमा नहीं है, जबकि युवाओं को 18 वर्ष तक बाहर रखा जाता है। यह एक ऐसा पूर्वाग्रह रचता है, जहां राजनीतिक तंत्र वृद्ध मतदाताओं का पक्षधर हो जाता है। इससे भविष्योन्मुखी नीतियों के निर्माण में बाधा आती है।

मतदान के प्रति उदासीनता: 2024 के लोक सभा चुनावों के आंकड़े दर्शाते हैं कि 18-19 आयु वर्ग के 40% से भी कम युवाओं ने मतदाता के रूप में पंजीकरण कराया था, जो कम राजनीतिक रुचि को इंगित करता है।

 

नीतियों पर सकारात्मक प्रभाव: आयु सीमा घटाने से राजनीतिक दलों को अपने घोषणा-पत्रों में बाल अधिकार, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और लैंगिक समानता जैसे विषयों को अधिक प्रमुखता देने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा।

अन्य कानूनी आयु सीमाओं से टकराव: यदि मतदान की आयु घटाई जाती है, तो यह विवाह, वाहन चलाने, मद्यपान करने, सैन्य सेवा या स्वयं चुनाव लड़ने जैसी अन्य गतिविधियों के लिए निर्धारित कानूनी आयु को भी कम करने की बहस को जन्म दे सकती है।

लोकतांत्रिक भागीदारी व प्रतिनिधित्व का विस्तार: कम उम्र में मतदान का अधिकार देने से युवाओं में नागरिक जिम्मेदारी की भावना जल्दी विकसित होगी, मतदान एक आदत बनेगी तथा इसके परिणामस्वरूप, लोकतंत्र की जड़ें और मजबूत होंगी।

प्रशासनिक और लॉजिस्टिकल बोझ: 16-17 वर्ष के किशोरों को मतदाता सूची में शामिल करने के लिए राष्ट्रव्यापी पंजीकरण अभियान, जागरूकता कार्यक्रम और मतदान केंद्रों पर अतिरिक्त व्यवस्था करनी होगी। इससे सरकारी खजाने पर भार और प्रशासनिक जटिलता दोनों में वृद्धि होगी। 

निष्कर्ष

मताधिकार की आयु घटाने संबंधी विमर्श को आगे बढ़ाने के लिए यह अनिवार्य है कि इससे जुड़े सभी प्रयास साक्ष्य-आधारित हों तथा निर्णय-प्रक्रिया में स्वयं किशोरों की भागीदारी सुनिश्चित की जाए। विद्यालयों में दी जाने वाली आरंभिक व व्यापक नागरिक शिक्षा और निरंतर चलने वाले पंजीकरण अभियान, युवाओं एवं प्रवासी आबादी के बीच राजनीतिक चेतना जागृत करके व्यापक लोकतांत्रिक सहभागिता को प्रोत्साहित कर सकते हैं।

  • Tags :
  • Lowering of Age for voting
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