इस फ्रेमवर्क पर हस्ताक्षर से नेपाल में BRI परियोजनाओं के क्रियान्वयन का मार्ग प्रशस्त होने की संभावना है। गौरतलब है कि नेपाल 2017 में BRI में शामिल हो गया था।
- साथ ही, दोनों देशों ने ट्रांस-हिमालयन कनेक्टिविटी नेटवर्क (THMDCN) विकसित करने और सड़क, रेलवे, एविएशन एवं पावर ग्रिड संबंधी अवसंरचना में सुधार के लिए भी प्रतिबद्धता प्रकट की।
- ज्ञातव्य है कि पाकिस्तान और श्रीलंका भी BRI में शामिल हैं।
बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के बारे में
- उत्पत्ति: इसे 2013 में 'वन बेल्ट वन रोड' के रूप में शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य भूमि और समुद्री नेटवर्क के माध्यम से एशिया को अफ्रीका व यूरोप से जोड़ना है।
- उद्देश्य: क्षेत्रीय एकीकरण में सुधार करना, व्यापार बढ़ाना और आर्थिक संवृद्धि को प्रोत्साहित करना।
- इसमें निम्नलिखित शामिल हैं:
- सिल्क रोड इकोनॉमिक बेल्ट: यह एक अंतर-महाद्वीपीय मार्ग है।
- समुद्री रेशम मार्ग: यह एक समुद्री मार्ग है।
BRI को लेकर भारत की प्रमुख चिंताएं
- सुरक्षा संबंधी खतरे: नेपाल भारत के साथ लगभग 1700 किमी की एक लंबी भूमि सीमा साझा करता है। भारत और चीन के मध्य नेपाल एक बफर जोन के रूप में स्थित है। चीन की अवसंरचना परियोजनाएं संघर्ष की स्थिति में भारतीय सीमावर्ती क्षेत्रों को और अधिक असुरक्षित बना देंगी।
- उदाहरण के लिए- पोखरा में चीन द्वारा वित्त-पोषित हवाई अड्डा, भारतीय सीमा के निकट है।
- क्षेत्रीय प्रभाव: चीन के आर्थिक प्रभाव से नेपाल चीन के साथ राजनीतिक रूप से जुड़ सकता है। इससे भारत का क्षेत्रीय प्रभाव कमजोर हो सकता है।
- "स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स" रणनीति: यह चीन की रणनीति का एक हिस्सा माना जाता है। इसका उद्देश्य चीन-समर्थक देशों से भारत को घेरना है।
- ऋण जाल कूटनीति (Debt Trap Diplomacy): चीन, नेपाल पर ऋण जाल का उपयोग करके प्रभाव डाल सकता है।
- अन्य:
- भारत वर्तमान में नेपाल का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है और भारत सीमा-पार ऊर्जा व्यापार में भी निवेश कर रहा है। चीन का बढ़ता प्रभाव इन व्यापारिक संबंधों को नुकसान पहुंचा सकता है।