अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU) और अंतर्राष्ट्रीय केबल सुरक्षा समिति (ICPC) ने संयुक्त रूप से सबमरीन केबल रेसिलिएंस को बढ़ावा देने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सलाहकार निकाय का गठन किया है।
सबमरीन केबल रेसिलिएंस को बढ़ावा देने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सलाहकार निकाय के बारे में
- उद्देश्य: सबमरीन (समुद्र में) केबल्स के लचीलेपन यानी रेसिलिएंस को मजबूती प्रदान करना।
- सबमरीन केबल्स का क्षतिग्रस्त होना एक आम बात है। इनमें लगभग हर साल वैश्विक स्तर पर औसतन 150 से 200 खराबियां होती हैं।
- कार्य: यह निकाय केबल रेसिलिएंस में सुधार करने, क्षति संबंधी जोखिमों को कम करने आदि के लिए सरकारों और उद्योगों के बीच सर्वोत्तम पद्धतियों को बढ़ावा देगा।
- इसके अलावा, यह निकाय बढ़ते यातायात, पुरानी होती अवसंरचना और पर्यावरणीय खतरों जैसे मुद्दों के समाधान के लिए रणनीतिक मार्गदर्शन भी प्रदान करेगा।
- सदस्य: इसके कुल 40 देश सदस्य हैं। निकाय में अलग-अलग देशों के मंत्री, विनियामक प्राधिकरणों के प्रमुख, उद्योगों के कार्यकारी, विशेषज्ञ आदि भी शामिल हैं। नाइजीरिया और पुर्तगाल इस निकाय के सह-अध्यक्ष हैं।
- इस निकाय की वर्ष में कम-से-कम दो बार बैठक होगी।
सबमरीन केबल क्या होती है?
- इनके बारे में: सबमरीन केबल समुद्र में बिछाई गई एक फाइबर ऑप्टिक केबल है, जो 2 या अधिक लैंडिंग बिंदुओं को जोड़ती है।
- ग्लोबल सबमरीन केबल नेटवर्क में भारत एक प्रमुख अभिकर्ता है: भारत मुंबई, चेन्नई आदि में 14 लैंडिंग स्टेशंस पर 17 अंतर्राष्ट्रीय सबमरीन केबल्स की मेजबानी करता है।
- महत्त्व: सबमरीन केबल्स वैश्विक डिजिटल अर्थव्यवस्था का आधार हैं।
- सबमरीन केबल्स 99% से अधिक अंतर्राष्ट्रीय डेटा का विनिमय करती हैं और दुनिया भर में वाणिज्यिक व वित्तीय लेन-देन जैसी महत्वपूर्ण सेवाओं को सक्षम बनाती हैं।
अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU) के बारे में
अंतर्राष्ट्रीय केबल सुरक्षा समिति (ICPC) के बारे में
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