PSLV-C59 ने प्रोबा-3 मिशन को एक अत्यधिक दीर्घवृत्ताकार कक्षा (Highly Elliptical Orbit) में सफलतापूर्वक स्थापित किया है। यह न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) का एक समर्पित वाणिज्यिक मिशन था।
- इसे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (SDSC-SHAR) से लॉन्च किया गया है।
- यह 2001 में प्रोबा-1 मिशन के बाद यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी का भारत से पहला प्रक्षेपण है।
- ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV) तीसरी पीढ़ी का प्रक्षेपण यान है।
- यह चार चरणों वाला यान है, जिसमें एक से अधिक उपग्रहों को अलग-अलग कक्षाओं में स्थापित करने की क्षमता है।
प्रोबा-3 मिशन
- यह एक इन-ऑर्बिट डेमोंस्ट्रेशन (IOD) मिशन है।
- उद्देश्य: एक अभिनव सैटेलाइट फॉर्मेशन के माध्यम से सूर्य के कोरोना का निरीक्षण करना।
- यह विश्व का पहला प्रिसाइज फॉर्मेशन उड़ान मिशन है।
- इसमें दो उपग्रह एक निश्चित दूरी बनाए रखते हुए एक साथ उड़ान भरेंगे।
- फॉर्मेशन उड़ान द्वारा लक्षित कक्षीय पथ को बनाए रखा जाता है।
- इसमें कोरोनाग्राफ स्पेसक्राफ्ट (CSC) और ऑकुल्टर स्पेसक्राफ्ट (OSC) शामिल हैं।
- इसमें दो उपग्रह एक निश्चित दूरी बनाए रखते हुए एक साथ उड़ान भरेंगे।
भारत के लिए वाणिज्यिक अंतरिक्ष प्रक्षेपणों के लाभ
- वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में हिस्सेदारी बढ़ना: वर्तमान में, कुल वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में भारत की 2-3% हिस्सेदारी है।
- राजस्व सृजन: विदेशी उपग्रहों के प्रक्षेपण से भारत ने 2022 तक 279 मिलियन डॉलर से अधिक का राजस्व अर्जित किया था।
- सॉफ्ट पावर: वाणिज्यिक उपग्रह प्रक्षेपण को सॉफ्ट पावर का एक घटक माना जाता है।
- इसे भू-राजनीतिक क्षेत्र में मजबूत कूटनीतिक संबंध बनाने के लिए उपयोग किया जा सकता है।
- अन्य: इससे प्रौद्योगिकी हस्तांतरण सुगम हो सकता है, आदि।
न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड के बारे में
भारत की वाणिज्यिक प्रक्षेपण क्षमता को सुगम बनाने वाली प्रमुख पहलें
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