हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मैनुअल स्कैवेंजिंग पर अक्टूबर 2023 के उसके निर्णय को लागू करने में विफल रहने पर केंद्र सरकार को न्यायालय की अवमानना संबंधी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है
- गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर 2023 में डॉ. बलराम सिंह बनाम भारत संघ मामले में मैनुअल स्कैवेंजिंग पर महत्वपूर्ण निर्णय दिया था।
- इसमें कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को देश में मैनुअल स्कैवेंजिंग और खतरनाक तरीके से सीवर की सफाई की कुप्रथा को खत्म करने का निर्देश दिया था।
- हालिया निर्णय में सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि नमस्ते (NAMASTE) योजना शुरू करने के बावजूद इस कुप्रथा का उन्मूलन कहीं भी नहीं हुआ है। यहां तक कि एक भी नगर पालिका में इसका उन्मूलन नहीं हुआ है।
मैनुअल स्कैवेंजिंग (हाथ से मैला उठाने) के बारे में
- परिभाषा: “मैनुअल स्कैवेंजिंग” से आशय किसी व्यक्ति को अस्वच्छ शौचालय में या खुले नाले या गड्ढे में या रेलवे ट्रैक आदि पर मानव मल को हाथ से हटाने, उठाने या किसी भी तरीके से उसके निपटान के लिए नियोजित करने से है।
- वर्तमान स्थिति: 2021 में भारत में 58,098 मैनुअल स्कैवेंजर्स थे। इनमें 75% महिलाएं थीं। 2018-22 के बीच सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई करते समय 339 लोगों की मौत हो गई थी।
- संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन: मैनुअल स्कैवेंजिंग मुख्य रूप से अनुच्छेद 17 के तहत ‘अस्पृश्यता का उन्मूलन’ और अनुच्छेद 21 “गरिमा के साथ जीवन जीने” जैसे मूल अधिकारों का उल्लंघन है।
- डॉ. बलराम सिंह बनाम भारत संघ मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश:
- सीवर की सफाई के दौरान होने वाली मौतों के मामलों में मृत कर्मी के परिजनों को दी जाने वाली मुआवजा राशि बढ़ाकर 30 लाख रुपये की जाए।
- सीवर की सफाई के दौरान दुर्घटना में स्थायी दिव्यांगता और अन्य प्रकार की दिव्यांगता के लिए मुआवजा राशि क्रमशः 20 लाख रुपये व 10 लाख रुपये निर्धारित की जाए।
- पीड़ित कर्मियों और उनके परिजनों का पुनर्वास किया जाए। कर्मी के परिवार के बच्चों को छात्रवृत्तियां तथा कौशल प्रशिक्षण प्रदान किए जाने चाहिए।
- हाथ से मैला उठाने वाले कर्मियों के नियोजन का प्रतिषेध और उनका पुनर्वास अधिनियम, 2013
- इस कानून के तहत मैनुअल स्कैवेंजिंग को प्रतिबंधित कर दिया गया है। हालांकि, सुरक्षात्मक गियर के साथ मानव मल की सफाई को मैनुअल स्कैवेंजिंग नहीं माना गया है।
- इस कानून के उल्लंघन पर सजा के तौर पर 2 साल तक की जेल हो सकती है या 1 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है अथवा दोनों हो सकते हैं।
नेशनल एक्शन फॉर मैकेनाइज्ड सैनिटेशन इकोसिस्टम (नमस्ते/ NAMASTE)
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