पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय द्वारा प्रथम ‘भारत समुद्री विरासत सम्मेलन (IMHC), 2024’ आयोजित किया गया | Current Affairs | Vision IAS
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पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय द्वारा प्रथम ‘भारत समुद्री विरासत सम्मेलन (IMHC), 2024’ आयोजित किया गया

Posted 14 Dec 2024

8 min read

इस सम्मेलन की थीम थी-"वैश्विक समुद्री इतिहास में भारत की स्थिति को समझना।”

  • इस सम्मेलन में भारत की समुद्री उपलब्धियों और एक उभरती वैश्विक समुद्री शक्ति के रूप में इसकी आकांक्षाओं को प्रदर्शित किया गया है।
    • ज्ञातव्य है कि मंत्रालय द्वारा सागरमाला कार्यक्रम के तहत गुजरात के लोथल में राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर (NMHC) का भी विकास किया जा रहा है। इसका उद्देश्य भारत की समुद्री विरासत को उजागर करना और विश्व के सबसे बड़े समुद्री विरासत परिसर का निर्माण करना है।

भारत की समुद्री विरासत पर एक नजर

  • प्रारंभिक काल (3000–2000 ईसा पूर्व): सिंधु घाटी सभ्यता का मेसोपोटामिया के साथ समुद्री व्यापार होता था ।
  • वैदिक युग (2000–500 ईसा पूर्व): समुद्री गतिविधियों का सबसे प्रारंभिक संदर्भ ऋग्वेद में मिलता है।
  • नंद और मौर्य युग (500-200 ईसा पूर्व): मगध साम्राज्य की नौसेना को इतिहास में दर्ज  दुनिया की पहली नौसेना माना जाता है।
    • चाणक्य के अर्थशास्त्र में 'जलमार्ग विभाग' का उल्लेख है।
  • सातवाहन राजवंश (200-220 ईसा पूर्व): ये जहाजों के प्रतीक चिन्ह वाले सिक्के जारी करने वाले पहले भारतीय शासक थे।
  • गुप्त राजवंश (320-500 ईसा पूर्व): समुद्री नौवहन और समुद्री व्यापार का उल्लेख चीनी यात्रियों फाह्यान व ह्वेनसांग की रचनाओं में मिलता है।
  • मराठा साम्राज्य: शिवाजी के नेतृत्व में मराठा नौसेना 500 से अधिक जहाजों के साथ एक शक्तिशाली नौसेना बन गई थी। 
  • दक्षिण भारतीय राजवंश: इसमें चेरों के प्रसिद्ध बंदरगाह टिंडिस (वर्तमान पेरियापट्टनम, कोच्चि के पास) और मुजिरिस (वर्तमान पट्टनम, कोच्चि के पास) शामिल हैं।
  • Tags :
  • राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर (NMHC)
  • भारत समुद्री विरासत सम्मेलन (IMHC), 2024
  • सागरमाला कार्यक्रम
  • समुद्री विरासत
  • वैश्विक समुद्री इतिहास
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