यह रिपोर्ट कृषि, पशुपालन और खाद्य प्रसंस्करण पर संसदीय स्थायी समिति ने प्रस्तुत की है।
इस रिपोर्ट में उजागर किए गए प्रमुख मुद्दे
- कृषि क्षेत्रक की धीमी वृद्धि: यह 2022-23 में 4.7% से घटकर 2023-24 में 1.4% हो गई है।
- देश के कुल कार्यबल का 54.6% कृषि में लगा हुआ है। 2022-23 के दौरान कृषि क्षेत्रक ने वर्तमान मूल्यों पर भारत के सकल मूल्य वर्धन (GVA) में 18.4% का योगदान दिया है।
- कृषि के लिए आवंटन में ठहराव: कृषि और किसान कल्याण विभाग (DoA&FW) को वित्त वर्ष 2024 के लिए 1.22 लाख करोड़ रुपये प्राप्त हुए हैं, जबकि वित्त वर्ष 2021 के लिए यह आंकड़ा 1.23 लाख करोड़ रुपये था।
- अन्य मुद्दे: इसमें निधियों का कम उपयोग, किसानों की कम आय और उत्पादकता, किसानों पर बढ़ता ऋण का बोझ आदि शामिल हैं।
रिपोर्ट में की गई सिफारिशें
- न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी: यह किसानों की आजीविका की सुरक्षा, ग्रामीण आर्थिक संवृद्धि को बढ़ावा देने और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा को बढ़ाने के लिए जरूरी है।
- किसानों को दी जाने वाली पीएम-किसान सहायता में वृद्धि करना: इसे वर्तमान के 6,000 रुपये प्रति वर्ष से बढ़ाकर 12,000 रुपये प्रति वर्ष करना चाहिए। साथ ही, इसमें बटाईदार किसानों और खेतिहर मजदूरों को भी शामिल किया जाना चाहिए।
- नाम में परिवर्तन: "कृषि एवं किसान कल्याण विभाग (DoA&FW)" का नाम बदलकर " कृषि, किसान एवं कृषि मजदूर कल्याण विभाग" रखा जाना चाहिए। इससे कृषि मजदूरों के कल्याण पर अधिक ध्यान दिया जा सकेगा और उन्हें अधिक मान्यता भी प्रदान की जा सकेगी।
- न्यूनतम जीवन निर्वाह मजदूरी के लिए राष्ट्रीय आयोग की स्थापना: इसे कृषि मजदूरों के लिए उचित एवं न्यायोचित मजदूरी सुनिश्चित करने के लिए स्थापित किया जाना चाहिए।
- अनिवार्य सार्वभौमिक फसल बीमा योजना: ऐसी योजना प्रधान मंत्री जन आरोग्य योजना (PM-JAY) की तर्ज पर 2 हेक्टेयर तक की भूमि वाले लघु किसानों के लिए शुरू की जानी चाहिए।