कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट-अंडरग्रेजुएट (CUET-UG) के प्रश्न-पत्र लीक होने की शिकायतें मिलने के बाद जून 2024 में सात सदस्यीय के. राधाकृष्णन समिति गठित की गई थी।
भारत में कॉमन एंट्रेंस टेस्ट से जुड़ी समस्याएं:
- प्रश्न-पत्र लीक होना और अंकों में अनियमितता: 2024 की NEET-अंडरग्रेजुएट परीक्षा के प्रश्न-पत्र आउट होने और छात्रों को ग्रेस मार्क्स देने में अनियमितता बरते जाने जैसी शिकायतें मिली थीं।
- बार-बार परीक्षा रद्द होना और तकनीकी गड़बड़ियां: बायोमेट्रिक इंफ्रास्ट्रक्चर में समस्या उत्पन्न होने, सर्वर फेलियर जैसी व्यवस्थागत खामियों की वजह से कई बार परीक्षाओं को रद्द करना पड़ा है।
- ज्ञातव्य है कि इन खामियों की वजह से जून 2024 में आयोजित होने वाली UGC NET परीक्षा को रद्द करना पड़ा था।
- संचालन में पारदर्शिता की कमी: परीक्षा परिणामों के प्रकाशन में देरी, प्रश्न-पत्र कठिनता के स्तर पर विसंगतियां और नॉर्मलाइज़ेशन की प्रक्रिया को लेकर भी सवाल उठते रहे हैं।
- नॉर्मलाइज़ेशन एक छात्र के स्कोर को इस तरह से संशोधित करने की एक प्रक्रिया है कि यह दूसरे छात्र के स्कोर के साथ तुलनीय हो जाए।
- अन्य चिंताएं: परीक्षा में राजनीतिक प्रभाव, भ्रष्टाचार कुछ अन्य चिंताएं हैं।
- इसका एक उदाहरण मध्य प्रदेश में व्यापम घोटाला है।
परीक्षा आयोजन में सुधारों पर राधाकृष्णन समिति की सिफारिशें
- डिजीयात्रा की तर्ज पर डिजीएग्जाम अपनाना: इससे छात्रों का सही से सत्यापन हो सकेगा और किसी वास्तविक छात्र की जगह अन्य द्वारा परीक्षा में शामिल होने की प्रवृत्ति को रोका जा सकेगा।
- नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) का पुनर्गठन: इसे केवल उच्चतर शिक्षा के लिए प्रवेश परीक्षाएं आयोजित करने की जिम्मेदारी दी जानी चाहिए।
- राज्य और जिला स्तरीय संस्थाओं के साथ समन्वय: इससे सुरक्षित परीक्षा केंद्रों की पहचान करने, संदिग्ध तत्वों की सूची तैयार करने और उन पर कड़ी नजर रखने में मदद मिलेगी।
- मोबाइल (अस्थायी) परीक्षा केंद्र: इससे ग्रामीण, दूरदराज और कम आबादी वाले क्षेत्रों के परीक्षार्थियों को सुविधा होगी।
- अन्य सिफारिशें:
- शिकायत निवारण प्रकोष्ठ की स्थापना करनी चाहिए,
- मानसिक स्वास्थ्य देखभाल की सुविधा प्रदान करनी चाहिए,
- टेस्ट ऑडिट की व्यवस्था को मजबूत करने की आवश्यकता है, आदि।
परीक्षा प्रणाली में सुधार के लिए भारत में शुरू की गई अन्य पहलें
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