सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सरकार को टी.एन. गोदावर्मन निर्णय (1996) के अनुपालन में ओरण जैसे पवित्र उपवनों की पहचान करने के लिए निर्देश दिए हैं।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए मुख्य निर्देश/ सुझाव
- पवित्र उपवनों को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के अंतर्गत विशेष रूप से धारा 36(c) के तहत सामुदायिक रिजर्व घोषित करके संरक्षण प्रदान करना।
- पिपलांत्री गांव जैसे मॉडल को देश के अन्य भागों में भी अपनाने और लागू करने के लिए सरकार के स्तर पर सक्रिय उपाय करना अनिवार्य है।
- पिपलांत्री मॉडल राजस्थान के राजसमंद जिले के एक छोटे से गांव में विकसित किया गया है।
- यह एक सामुदायिक संरक्षण प्रयास है, जिसमें हर लड़की के जन्म पर 111 पेड़ लगाए जाते हैं।
- पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) पवित्र अउपवनों के प्रशासन एवं प्रबंधन के लिए एक व्यापक नीति तैयार करेगा।
- इसके तहत, MoEFCC को पवित्र उपवनों के राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण के लिए एक योजना भी तैयार करनी होगी।
- राजस्थान सरकार को अनुसूचित जनजाति और अन्य पारंपरिक वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006 के तहत पारंपरिक समुदायों को संरक्षक के रूप में मान्यता दे कर उन्हें सशक्त बनाना चाहिए।
- MoEFCC और राजस्थान का वन विभाग एक समिति का गठन करेंगे, जो पवित्र उपवनों के मानचित्रण एवं पहचान संबंधी प्रक्रिया की निगरानी करेगी।
पवित्र उपवन (Sacred Grove) के बारे में
|