टोक्यो स्थित ऑर्बिटल लेजर और भारतीय रोबोटिक्स कंपनी इंस्पेसिटी यह अध्ययन करेंगे। इसके लिए वे लेज़र प्रौद्योगिक आधारित सेटेलाइट्स का उपयोग करेंगे। इस अध्ययन के तहत वे एक निष्क्रिय सेटेलाइट को कक्षा से हटाने और अंतरिक्ष यानों की उपयोग अवधि बढ़ाने जैसी अंतरिक्ष आधारित सेवाओं के लिए व्यवसायिक अवसरों का अध्ययन करेंगे।
- ऑर्बिटल लेज़र एक ऐसी प्रणाली विकसित कर रहा है, जो अंतरिक्ष मलबे की सतह के छोटे हिस्सों को लेज़र ऊर्जा की मदद से वाष्पीकृत कर सकती है। इससे अंतरिक्ष मलबे के घूर्णन को नियंत्रित किया जा सकता है। इस तकनीक से सेवारत अंतरिक्ष यान को मलबे से बचने में सहायता मिलेगी।
अंतरिक्ष मलबा क्या है?
- अंतरिक्ष मलबे को अंतरिक्ष कबाड़ भी कहा जाता है। इनमें प्रयुक्त रॉकेट के अलग-अलग चरण, अनुपयोगी सेटेलाइट्स, अंतरिक्ष से जुड़े ऑब्जेक्ट्स के टुकड़े तथा एंटी-सैटेलाइट वेपन्स (ASAT) से उत्पन्न मलबे शामिल होते हैं।
- संयुक्त राष्ट्र विश्वविद्यालय के अनुसार, पृथ्वी की कक्षा में 35,150 ट्रैक किए गए ऑब्जेक्ट्स हैं। इनमें से केवल 25% ही कार्यशील उपग्रह हैं।
अंतरिक्ष मलबे से संबंधित चिंताएं
- अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए खतरा: अंतरिक्ष मलबा कार्यशील अंतरिक्ष यान को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है। यह ऑप्टिक्स और सौर पैनल्स जैसे घटकों को नष्ट कर सकता है। उदाहरण के लिए- 10 सें.मी. के एक ऑब्जेक्ट के साथ टकराव एक सेटेलाइट को पूरी तरह से नष्ट कर सकता है।
- केसलर सिंड्रोम: यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें अंतरिक्ष मलबे की अनियंत्रित वृद्धि के कारण टकरावों की एक श्रृंखला उत्पन्न हो सकती है।
- पृथ्वी पर जीवन के समक्ष खतरा: बड़े अंतरिक्ष मलबे के अनियंत्रित तरीके से वायुमंडल में पुनः प्रवेश करने से पृथ्वी पर आबादी के लिए खतरा बढ़ सकता है।
इससे बचने के उपाय
- अंतरिक्ष यानों को सफलतापूर्वक कक्षा से हटाना चाहिए। उनके कक्षा में ही विखंडित होने को सीमित करना चाहिए;
- मिशन के अंत में प्रभावी निपटान रणनीतियों को अपनाना चाहिए आदि।
अंतरिक्ष मलबे से निपटने के लिए संचालित पहलेंवैश्विक स्तर पर
भारत में अपनाई गई पहलें
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