ये नियम 1 अक्टूबर 2025 से लागू होंगे। इनका उद्देश्य अप्रबंधित ठोस अपशिष्ट के दुष्प्रभावों को कम करना; सर्कुलर इकोनॉमी के सिद्धांतों को लागू करना और शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में नियमों की निगरानी को मजबूत करना है।
- ठोस अपशिष्ट प्रबंधन: यह ठोस अपशिष्ट की मात्रा, संग्रहण, भंडारण, परिवहन, प्रसंस्करण और निपटान को नियंत्रित करने की प्रक्रिया है।
ड्राफ्ट ठोस अपशिष्ट प्रबंधन (SWM) नियम, 2024 के मुख्य नियमों पर एक नजर

- ठोस अपशिष्ट उत्पन्न करने वाले को अपने परिसर में कंस्ट्रक्शन (निर्माण) और डिमोलिशन (ध्वंस) से उत्पन्न अपशिष्ट को अलग-अलग संग्रहित करना होगा। साथ ही, कंस्ट्रक्शन एवं डिमोलिशन अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 के अनुसार उसका निपटान भी करना होगा।
- अत्यधिक मात्रा में ठोस अपशिष्ट उत्पन्न करने वाले (Bulk waste generator) को सेनेटरी अपशिष्ट आदि के पर्यावरण अनुकूल संग्रहण और परिवहन के लिए स्थानीय निकाय से विस्तारित बल्क वेस्ट जेनरेटर उत्तरदायित्व प्रमाण-पत्र प्राप्त करना होगा।
- 1500 किलो कैलोरी/ किग्रा या इससे अधिक कैलोरी मान वाले गैर-पुनर्चक्रण योग्य अपशिष्ट को लैंडफिल में नहीं डाला जाएगा।
- केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) इन नियमों के अंतर्गत सभी बाध्य संस्थाओं के पंजीकरण और वार्षिक रिटर्न दाखिल करने के लिए केंद्रीकृत ऑनलाइन प्रणाली स्थापित करेगा।
- प्रत्येक उपचार, भंडारण और निपटान सुविधा केंद्र के संचालक को केंद्रीकृत ऑनलाइन पोर्टल पर पंजीकरण कराना होगा ।
- स्थानीय निकाय कृषि एवं बागवानी अपशिष्ट को जलाने पर रोक लगाएंगे तथा ऐसे अपशिष्ट को खुले में जलाने में शामिल व्यक्तियों पर भारी जुर्माना भी लगाएंगे।
ठोस अपशिष्ट प्रबंधन से जुड़ी चुनौतियां:
- स्रोत पर अपशिष्ट के उचित संग्रहण एवं पृथक्करण का अभाव है;
- इलेक्ट्रॉनिक अपशिष्ट का अव्यवस्थित ढंग से निपटान या डंपिंग की जाती है;
- अपशिष्ट के संग्रहण एवं परिवहन के लिए वित्तीय संसाधनों की कमी है आदि।