इस विधेयक का उद्देश्य राज्य में जेलों और सुधारात्मक सेवाओं तथा कैदियों के विनियमन से संबंधित कानूनों को समेकित करना है।
- यह मॉडल जेल अधिनियम, 2023 पर आधारित है।
मॉडल जेल अधिनियम, 2023 की मुख्य विशेषताओं पर एक नजर
- विशिष्ट जेलें: कानून में उच्च सुरक्षा युक्त और खुली व अर्ध-खुली जेलों की स्थापना का प्रावधान किया गया है।
- कानूनी सहायता और प्रोत्साहन: अच्छे आचरण के आधार पर पैरोल, फरलो व शीघ्र रिहाई का उपबंध किया गया है।
- पुनर्वास: कानून में कैदियों को समाज में पुनः समेकित करने के लिए उनके व्यावसायिक प्रशिक्षण और कौशल विकास पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
- समावेशी जेल सुविधाएं: महिलाओं और ट्रांसजेंडर कैदियों आदि के लिए अलग सुविधाओं का प्रावधान किया गया है।
भारत में जेल व्यवस्था
- जेल या 'उनमें हिरासत में रखे गए व्यक्ति' राज्य सूची (प्रविष्टि-4) का विषय है।
- भारत में जेल व्यवस्था 1894 के जेल अधिनियम और राज्य सरकारों के जेल मैनुअल द्वारा संचालित होती थी। हालांकि, अब मॉडल जेल अधिनियम, 2023 ने जेल अधिनियम 1894 का स्थान ले लिया है।
जेल सुधारों की आवश्यकता
- औपनिवेशिक दौर का कानून: राममूर्ति बनाम कर्नाटक राज्य वाद,1996 में सुप्रीम कोर्ट ने जेल अधिनियम, 1894 को बदलने तथा नए जेल कानून बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया था।
- जेलों में कैदियों की संख्या में वृद्धि: भारत के सुप्रीम कोर्ट की 2024 की जेल रिपोर्ट के अनुसार, भारत की जेलों में 31 दिसंबर, 2022 तक कुल कैदियों की संख्या 5.73 लाख थी।
- इनमें से लगभग 75.8% विचाराधीन कैदी हैं।
- अमानवीय स्थितियां: छोटी और भीड़भाड़ वाली जेल, उचित स्वच्छता का अभाव और अपर्याप्त चिकित्सा देखभाल।
जेल सुधार हेतु किए गए अन्य उपाय
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