शिक्षा मंत्रालय ने केंद्र के तहत आने वाले स्कूलों हेतु कक्षा 5 और 8 के लिए 'नो डिटेंशन' नीति को समाप्त करने का निर्णय लिया है।
- 'नो डिटेंशन' नीति के तहत कक्षा 5 और 8 के छात्र को अंतिम परीक्षा में फेल नहीं किया जाता था। यह नीति 2009 के निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार (RTE) अधिनियम के तहत 2010 में लागू की गई थी। केंद्र ने अब इस नीति को समाप्त कर दिया है तथा स्कूल अब कक्षा 5 और 8 के छात्रों को फेल कर सकते हैं। यह निर्णय निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार (RTE) (संशोधन) नियम, 2024 के तहत लिया गया है।
- चूंकि, शिक्षा राज्य सूची का विषय है, इसलिए 16 राज्य और दिल्ली सहित एक अन्य केंद्र शासित प्रदेश पहले ही 'नो डिटेंशन' नीति समाप्त कर चुके हैं।
नई नीति (निर्णय) से संबंधित मुख्य तथ्य
- यद्यपि 2019 में RTE अधिनियम से नो-डिटेंशन नीति को हटा दिया गया था, परन्तु, 2023 में राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (NCF) के जारी होने तक इसके कार्यान्वयन में देरी हुई।
- नई नीति के तहत यदि कोई छात्र प्रमोशन (उत्तीर्ण) होने के मानदंडों को पूरा करने में विफल रहता है, तो उसे परिणाम घोषित होने के दो महीने के भीतर अतिरिक्त निर्देश दिया जाएगा। इसके बाद उसे एक पुन: परीक्षा देने का अवसर मिलेगा।
- किसी भी बच्चे को प्रारंभिक शिक्षा पूरी होने तक स्कूल से नहीं निकाला जा सकता।
डिटेंशन के पक्ष में तर्क
- सीखने के परिणामों में गिरावट: 2023 में कक्षा 10 और 12 में 65 लाख छात्र असफल रहे थे।
- प्रोत्साहन की कमी: स्वचालित प्रमोशन के कारण छात्र कड़ी मेहनत करना छोड़ देते हैं तथा शिक्षकों की जवाबदेही भी कम हो जाती है।
डिटेंशन के विपक्ष में तर्क
- हीन भावना और उच्च ड्रॉपआउट दर: परीक्षा में फेल होने का भय या फिर से उसी कक्षा में बैठने की मजबूरी के चलते कई बार छात्र स्कूल जाना बंद कर देते हैं।
- बाल केंद्रित शिक्षा: केवल शैक्षणिक प्रदर्शन के आधार पर मूल्यांकन करने की बजाय बच्चों के समग्र विकास को महत्त्व देने वाली शैक्षिक प्रणाली को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
नो डिटेंशन नीति की पृष्ठभूमि
RTE अधिनियम, 2009 के बारे में
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