2014-2016 के बीच प्रशांत महासागरीय हीटवेव की वजह से अलास्का में चार मिलियन समुद्री पक्षियों की मृत्यु हो गई | Current Affairs | Vision IAS
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2014-2016 के बीच प्रशांत महासागरीय हीटवेव की वजह से अलास्का में चार मिलियन समुद्री पक्षियों की मृत्यु हो गई

Posted 30 Dec 2024

14 min read

एक हालिया नई स्टडी में गर्म होते महासागरों की वजह से पहली बार इतनी अधिक संख्या में कशेरुकी जीवों (Vertebrate) की मृत्यु को रिकॉर्ड किया गया है। यह घटना जलवायु परिवर्तन के त्वरित और गहन प्रभावों को दर्शाती है। 

मरीन हीटवेव (MHW) के बारे में 

  • परिभाषा: मरीन हीटवेव चरम मौसम की परिघटना है। जब किसी विशेष क्षेत्र में समुद्री जल सतह का तापमान कम-से-कम पांच दिनों तक औसत तापमान से 3 या 4 डिग्री सेल्सियस अधिक हो जाता है, तो उसे मरीन हीटवेव कहते हैं। 
    • मरीन हीटवेव कई हफ्तों, महीनों या सालों तक चल सकती है।
  • मरीन हीटवेव के लिए निम्नलिखित दो कारक जिम्मेदार हैं:
    • समुद्री सतह पर ताप का प्रवाह या स्थानांतरण (Surface heat flux): आसपास के वायुमंडल के गर्म होने से समुद्री जल का तापमान बढ़ता है। यह स्थिति किसी समुद्री जल क्षेत्र के ऊपर लंबे समय तक वायुमंडलीय उच्च दाब बने रहने की वजह से उत्पन्न होती है। 
      • इस परिघटना की वजह से समुद्री सतह का उथला जल ही गर्म होता है और यह कम अवधि वाली होती है। 
    • अभिवहन (Advection): समुद्री धाराओं द्वारा किसी क्षेत्र में गर्म जल को लाने से भी मरीन हीटवेव की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। इसमें अधिक गहराई तक समुद्री जल गर्म हो जाता है और यह लंबी अवधि वाली हीटवेव होती है।  

मरीन हीटवेव के प्रभाव

  • पारिस्थितिकी-तंत्र पर प्रभाव: मरीन हीटवेव के कारण बड़ी संख्या में केल्प और कोरल जैसी प्रजातियों की मृत्यु हो जाती है। गौरतलब है कि केल्प और कोरल कॉलोनियां बड़ी संख्या में समुद्री जीवों को आश्रय प्रदान करती हैं। इनके नष्ट होने से पारिस्थितिकी-तंत्र की उत्पादकता बाधित होती है।
  • प्रजातियों पर प्रभाव: खाद्य श्रृंखला में ऊपरी-पोषी-स्तर (Upper-trophic-level) की प्रजातियों की प्रजनन क्षमता कम हो जाती है। इसके अलावा, प्रजातियों की मृत्यु दर भी बढ़ जाती है और प्रभावित क्षेत्र में बड़ी संख्या में प्रजातियां विलुप्त हो जाती हैं।
  • प्रजातियों का स्थानांतरण: किसी क्षेत्र की देशज प्रजातियां ठंडे जल की ओर पलायन कर जाती हैं। इनका स्थान समुद्री अर्चिन और जेलीफ़िश जैसी आक्रामक प्रजातियां ले लेती हैं।
  • हानिकारक शैवाल प्रस्फुटन परिघटना (Harmful algal bloom): उच्च तापमान और ऑक्सीजन की कमी से क्षेत्र में हानिकारक शैवालों की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि हो जाती है। इसे हानिकारक शैवाल प्रस्फुटन परिघटना कहा जाता है।
  • चरम मौसम का बढ़ना: मरीन हीटवेव की वजह से अधिक प्रबल और अधिक संख्या में उष्णकटिबंधीय चक्रवात एवं हरिकेन जैसी चरम मौसम की परिघटनाएं उत्पन्न होती हैं। 

मरीन हीटवेव की संख्या:

  • 1982 के बाद से मरीन हीटवेव परिघटनाओं की संख्या दोगुनी हो गई है।
  • उष्णकटिबंधीय हिंद महासागर में मरीन हीटवेव की संख्या में चार गुना तक की वृद्धि दर्ज की गई है। हिंद महासागर क्षेत्र में तेजी से बढ़ती गर्मी और प्रबल अल नीनो प्रभाव ने भी इसमें योगदान दिया है।
  • पूरी दुनिया में मरीन हीटवेव वाले औसत दिवसों की कुल संख्या में पिछली सदी की तुलना में 50% की वृद्धि दर्ज की गई है।
  • Tags :
  • महासागरीय हीटवेव
  • MHW
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