राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने दिल्ली में ओज़ोन का स्तर तय सीमा से अधिक होने पर केंद्र को नोटिस जारी किया | Current Affairs | Vision IAS
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राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने दिल्ली में ओज़ोन का स्तर तय सीमा से अधिक होने पर केंद्र को नोटिस जारी किया

Posted 30 Dec 2024

14 min read

हाल ही में, NGT ने दिल्ली में धरातलीय ओज़ोन (Ground-level ozone: GLO) के बढ़ते स्तर पर स्वत: संज्ञान लिया है। धरातलीय ओज़ोन (GLO) एक प्रमुख वायु प्रदूषक है और स्मॉग बनने में योगदान करता है। 

धरातलीय ओज़ोन (GLO) या क्षोभमंडलीय ओज़ोन (Tropospheric ozone) के बारे में

  • ओजोन (O3): यह ऑक्सीजन का एक प्रकार है। इसका निर्माण ऑक्सीजन के तीन परमाणुओं के मिलने से होता है। 
    • यह पृथ्वी के ऊपरी वायुमंडल यानी समतापमंडल और निचले वायुमंडल यानी क्षोभमंडल में भी पाई जाती है। ज्ञातव्य है कि क्षोभमंडलीय ओज़ोन को धरातलीय ओज़ोन भी कहा जाता है (चित्र देखें)।
  • धरातलीय ओज़ोन की उत्पत्ति: यह एक अल्पकालिक द्वितीयक प्रदूषक है। इसकी उत्पत्ति सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में क्षोभमंडल में वायुमंडलीय अभिक्रियाओं के माध्यम से भूमि के निकट होती है।
  • जिम्मेदार कारक: उच्च तापमान और ओज़ोन निर्माण में योगदान देने वाले प्रदूषक जैसे- नाइट्रोजन के ऑक्साइड (NOX) एवं वाष्पशील कार्बनिक यौगिक (VOC) का उत्सर्जन।
    • गर्मियों के मौसम में तापमान बढ़ने से ओज़ोन बनने की प्रक्रिया तेज हो जाती है।
  • ओज़ोन निर्माण में योगदान देने वाले प्रदूषकों के स्रोत: बड़े पैमाने पर वाहन उत्सर्जन, जीवाश्म ईंधन आधारित विद्युत संयंत्र, तेल रिफाइनरियां, कृषि क्षेत्रक आदि। 
  • केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB): ने धरातलीय ओज़ोन के लिए निम्नलिखित राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानक (NAAQS) निर्धारित किए हैं:
    • 8 घंटे का औसत: 100 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर (µg/m³); तथा 
    • 1 घंटे की सीमा: 180 µg/m³. 

धरातलीय ओज़ोन के प्रभाव

  • स्वास्थ्य पर प्रभाव: वैश्विक स्तर पर, इस ओज़ोन के कारण हर साल लगभग 1 मिलियन समय से पहले मौतें होती हैं। इसके अलावा अस्थमा, ब्रोंकाइटिस आदि रोगों में भी बढ़ोतरी होती है। 
  • जलवायु पर प्रभाव: धरातलीय ओज़ोन एक शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैस है, जो ग्लोबल वार्मिंग में योगदान देती है।
  • कृषि और पारिस्थितिकी-तंत्र पर प्रभाव: यह फसल उत्पादकता को कम करती है तथा पौधों द्वारा कार्बन ग्रहण की क्षमता को बाधित करके उनके विकास को अवरुद्ध करती है आदि।

धरातलीय ओज़ोन की उत्पत्ति में योगदान देने वाले प्रदूषकों यानी NOx और VOC उत्सर्जन को नियंत्रित करने के लिए उठाए गए कदम: 

  • BS VI वाहन: इसके तहत सरकार ने भारी वाहनों के लिए NOx उत्सर्जन को 87% तक और दो-पहिया वाहनों के लिए 70-85% तक कम करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
  • इलेक्ट्रिक मोबिलिटी: इस उद्देश्य हेतु सरकार ने प्रधान मंत्री ई-ड्राइव (PM-E Drive) योजना के तहत शून्य वाहन उत्सर्जन प्राप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
  • संशोधित औद्योगिक उत्सर्जन मानक: उर्वरक व थर्मल पावर प्लांट्स जैसे उद्योगों के लिए सख्त NOX और VOC मानक लागू किए हैं। 
  • वेपर रिकवरी सिस्टम (VRS): यह एक तकनीकी उपाय है, जिसे ईंधन भरने के दौरान VOC उत्सर्जन को कम करने के लिए दिल्ली-एनसीआर के पेट्रोल पंपों पर स्थापित किया गया है।
  • Tags :
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  • NGT
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