यह रिपोर्ट एक छमाही प्रकाशन है। इसमें वित्तीय क्षेत्रक के सभी विनियामकों का योगदान होता है।

- यह रिपोर्ट वित्तीय स्थिरता एवं विकास परिषद की उप-समिति का सामूहिक आकलन प्रस्तुत करती है। इसमें भारतीय वित्तीय प्रणाली की स्थिरता के समक्ष वर्तमान और उभरते जोखिमों को उजागर किया जाता है।
रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर:
- लचीली भारतीय अर्थव्यवस्था: 2024-25 में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 6.6% की दर से वृद्धि होने का अनुमान है। इसमें ग्रामीण उपभोग, सरकारी व्यय और सेवा के निर्यात में बढ़ोतरी से सहायता मिलेगी।
- सरकारी वित्त: केंद्र सरकार का ऋण-GDP अनुपात महामारी (2020-21) के दौरान 62.7% के उच्चतम स्तर पर था। इसके 2024-25 तक घटकर 56.8% हो जाने की उम्मीद है।
- राज्यों की बकाया देनदारियां 31% से घटकर 28.8% हो जाने का अनुमान है।
- स्थिर वित्तीय प्रणाली: अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (SCBs) की मजबूती में वृद्धि हुई है। ऐसा बेहतर लाभप्रदता, घटती गैर-निष्पादित परिसम्पतियों (NPAs) और पर्याप्त पूंजी व चलनिधि बफर के कारण संभव हुआ है।
वित्तीय स्थिरता एवं विकास परिषद (FSDC) के बारे में
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