इसरो ने स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट (स्पाडेक्स/ SpaDeX) मिशन लॉन्च किया | Current Affairs | Vision IAS
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इसरो ने स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट (स्पाडेक्स/ SpaDeX) मिशन लॉन्च किया

Posted 31 Dec 2024

13 min read

स्पाडेक्स को श्रीहरिकोटा (आंध्र प्रदेश) के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से PSLV-C60 रॉकेट के जरिए लॉन्च किया गया है। इसके साथ 24 PS4-ऑर्बिटल एक्सपेरिमेंट मॉड्यूल (POEM-4) पेलोड भी भेजा गया है। 

  • अंतरिक्ष यान को अन्य इसरो केंद्रों के सहयोग से यूआर राव सैटेलाइट सेंटर (URSC) ने डिजाइन और विकसित किया है।
    • यू आर राव सैटेलाइट सेंटर (URSC) बेंगलुरु में स्थित है। यह सैटेलाइट्स के निर्माण और संबंधित सैटेलाइट प्रौद्योगिकियों के विकास के लिए इसरो का प्रमुख केंद्र है।

स्पाडेक्स मिशन पर एक नजर 

  • कक्षा: 55° झुकाव पर पृथ्वी से 470 किलोमीटर की ऊंचाई पर वृत्ताकार कक्षा।
  • मिशन लाइफ: डॉकिंग के बाद, मिशन का परिचालन दो साल तक जारी रहेगा।
  • उद्देश्य: 
    • प्राथमिक: वृत्ताकार निम्न-भू कक्षा में दो लघु अंतरिक्ष यानों के रेन्डेज़वस (rendezvous/ नजदीक आना), डॉकिंग और अनडॉकिंग के लिए आवश्यक तकनीक का विकास एवं प्रदर्शन करना। 
      • ये दो लघु अंतरिक्ष यान हैं- SDX01 (चेज़र), और SDX02 (टारगेट))। 
    • द्वितीयक: डॉकिंग के जरिए जुड़े अंतरिक्ष यानों के मध्य बिजली का आदान-प्रदान और अनडॉकिंग के बाद दोनों अंतरिक्ष यानों का संयुक्त प्रणाली के रूप में काम करना एवं किसी भी कार्य या प्रयोग (पेलोड संचालन) को प्रबंधित करना।
  • विकसित की गई स्वदेशी प्रौद्योगिकियां:
    • इंटर-सेटेलाइट कम्युनिकेशन लिंक (ISL): यह तकनीक अंतरिक्ष यान के बीच स्वायत्त संचार के लिए विकसित की गई है।
    • GNSS आधारित नॉवेल रिलेटिव ऑर्बिट डिटरमिनेशन एंड प्रोपेगेशन (RODP) प्रोसेसर: इस तकनीक का उपयोग अन्य अंतरिक्ष यान की सापेक्ष स्थिति और वेग निर्धारित करने के लिए किया जाता है।
      • ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) सैटेलाइट्स के ऐसे समूह को संदर्भित करता है, जो ग्लोबल पोजीशनिंग, नेविगेशन और टाइमिंग संबंधी सेवाएं प्रदान करता है, उदाहरण के लिए- गैलीलियो (EU) GPS (अमेरिका) आदि।
    • इस मिशन को सक्षम करने के लिए अन्य विकसित की गई स्वदेशी प्रौद्योगिकियां: डॉकिंग तंत्र, सेंसर सूट, स्वायत्त रेन्डेज़वस, डॉकिंग रणनीति आदि।

मिशन का महत्त्व

  • आत्मनिर्भरता: भारत का लक्ष्य अंतरिक्ष डॉकिंग तकनीक हासिल करने वाला चौथा देश बनना है। पहले तीन देश चीन, रूस व संयुक्त राज्य अमेरिका हैं। 
  • भविष्य के मिशनों के लिए सक्षमकर्ता: यह प्रौद्योगिकी भारत की अंतरिक्ष संबंधी महत्वाकांक्षाओं जैसे चंद्रमा पर भारतीय अंतरिक्ष यात्री को भेजना, चंद्रमा से नमूना वापसी, भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS) का निर्माण आदि के लिए आवश्यक है। 
  • अंतरिक्ष संचालन में लागत-दक्षता: यह एक लागत-प्रभावी तकनीक है, जो सामान्य मिशन उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए कई रॉकेट लॉन्च करने में सक्षम बनाएगी। 
  • Tags :
  • स्पाडेक्स
  • SpaDeX
  • स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट
  • PSLV-C60
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