स्पाडेक्स को श्रीहरिकोटा (आंध्र प्रदेश) के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से PSLV-C60 रॉकेट के जरिए लॉन्च किया गया है। इसके साथ 24 PS4-ऑर्बिटल एक्सपेरिमेंट मॉड्यूल (POEM-4) पेलोड भी भेजा गया है।
- अंतरिक्ष यान को अन्य इसरो केंद्रों के सहयोग से यूआर राव सैटेलाइट सेंटर (URSC) ने डिजाइन और विकसित किया है।
- यू आर राव सैटेलाइट सेंटर (URSC) बेंगलुरु में स्थित है। यह सैटेलाइट्स के निर्माण और संबंधित सैटेलाइट प्रौद्योगिकियों के विकास के लिए इसरो का प्रमुख केंद्र है।
स्पाडेक्स मिशन पर एक नजर
- कक्षा: 55° झुकाव पर पृथ्वी से 470 किलोमीटर की ऊंचाई पर वृत्ताकार कक्षा।
- मिशन लाइफ: डॉकिंग के बाद, मिशन का परिचालन दो साल तक जारी रहेगा।
- उद्देश्य:
- प्राथमिक: वृत्ताकार निम्न-भू कक्षा में दो लघु अंतरिक्ष यानों के रेन्डेज़वस (rendezvous/ नजदीक आना), डॉकिंग और अनडॉकिंग के लिए आवश्यक तकनीक का विकास एवं प्रदर्शन करना।
- ये दो लघु अंतरिक्ष यान हैं- SDX01 (चेज़र), और SDX02 (टारगेट))।
- द्वितीयक: डॉकिंग के जरिए जुड़े अंतरिक्ष यानों के मध्य बिजली का आदान-प्रदान और अनडॉकिंग के बाद दोनों अंतरिक्ष यानों का संयुक्त प्रणाली के रूप में काम करना एवं किसी भी कार्य या प्रयोग (पेलोड संचालन) को प्रबंधित करना।
- प्राथमिक: वृत्ताकार निम्न-भू कक्षा में दो लघु अंतरिक्ष यानों के रेन्डेज़वस (rendezvous/ नजदीक आना), डॉकिंग और अनडॉकिंग के लिए आवश्यक तकनीक का विकास एवं प्रदर्शन करना।
- विकसित की गई स्वदेशी प्रौद्योगिकियां:
- इंटर-सेटेलाइट कम्युनिकेशन लिंक (ISL): यह तकनीक अंतरिक्ष यान के बीच स्वायत्त संचार के लिए विकसित की गई है।
- GNSS आधारित नॉवेल रिलेटिव ऑर्बिट डिटरमिनेशन एंड प्रोपेगेशन (RODP) प्रोसेसर: इस तकनीक का उपयोग अन्य अंतरिक्ष यान की सापेक्ष स्थिति और वेग निर्धारित करने के लिए किया जाता है।
- ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) सैटेलाइट्स के ऐसे समूह को संदर्भित करता है, जो ग्लोबल पोजीशनिंग, नेविगेशन और टाइमिंग संबंधी सेवाएं प्रदान करता है, उदाहरण के लिए- गैलीलियो (EU) GPS (अमेरिका) आदि।
- इस मिशन को सक्षम करने के लिए अन्य विकसित की गई स्वदेशी प्रौद्योगिकियां: डॉकिंग तंत्र, सेंसर सूट, स्वायत्त रेन्डेज़वस, डॉकिंग रणनीति आदि।
मिशन का महत्त्व
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