सॉफ्टवेयर फ्रीडम लॉ सेंटर के आंकड़ों के अनुसार, भारत में 2024 में 60 बार इंटरनेट शटडाउन किया गया था, जो पिछले 8 वर्षों में सबसे कम है।
- संयुक्त राष्ट्र ने 2016 में इंटरनेट की उपलब्धता को मौलिक मानवाधिकार घोषित किया था।
- इंटरनेट का उपयोग सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जैसे:
- शिक्षा (SDG-4);
- लैंगिक समानता (SDG-5);
- असमानताओं में कमी (SDG-10) आदि।
भारत में इंटरनेट शटडाउन से संबंधित क़ानूनी प्रावधान
- संवैधानिक प्रावधान: संविधान का अनुच्छेद 19(2) सरकार को राज्य की सुरक्षा, लोक व्यवस्था आदि के लिए बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर तर्कसंगत प्रतिबंध लगाने की अनुमति देता है।
- इंटरनेट शटडाउन का उपयोग गलत सूचना, विरोध या अशांति आदि को नियंत्रित करने के लिए किया जाता रहा है।
- अधिनियम:
- टेलीग्राफ अधिनियम, 1885: इस अधिनियम के तहत बनाए गए दूरसंचार सेवाओं के अस्थायी निलंबन (लोक आपात या लोक सुरक्षा) नियम, 2017 के अंतर्गत लोक आपात या लोक सुरक्षा के मामलों में इंटरनेट सहित दूरसंचार सेवाओं को निलंबित किया जा सकता है।
- तत्कालीन दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 144 (अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 163)।
- अनुराधा भसीन केस (2020) का निर्णय: सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था कि इंटरनेट पर प्रतिबंध अस्थायी, वैध, आवश्यक और तर्कसंगत होने चाहिए।
