हाल ही में, न्यूक्लियर पॉवर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (NPCIL) ने ब्राउन/ ग्रीन फील्ड्स श्रेणी के तहत भारतीय उद्योगों द्वारा स्वयं के उपयोग हेतु 220 मेगावाट क्षमता वाले भारत स्मॉल रिएक्टर्स (BSRs) स्थापित करने के लिए प्रस्ताव आमंत्रित किए।
- PHWR प्रौद्योगिकी पर आधारित भारत स्मॉल रिएक्टर्स 220 मेगावाट तक की क्षमता वाले कॉम्पैक्ट परमाणु रिएक्टर हैं।
- BSRs का डिजाइन स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर्स (SMRs) से मेल खाता है, जिनकी क्षमता 30 मेगावाट से कम और 300 मेगावाट से अधिक तक हो सकती है।
परमाणु क्षेत्रक में निजी क्षेत्रक की भागीदारी का महत्त्व
- संसाधन जुटाना: यह भारत के परमाणु ऊर्जा क्षेत्रक में निवेश को आकर्षित और संसाधनों के एकत्रीकरण से इकोनॉमी ऑफ स्केल को संभव कर सकता है। भारत का लक्ष्य परमाणु ऊर्जा में 26 बिलियन डॉलर के निवेश को आकर्षित करना है।
- तकनीकी उन्नति और नवाचार: यह अत्याधुनिक अनुसंधान में निवेश को बढ़ावा दे सकता है। साथ ही, इससे SMRs एवं उन्नत शीतलन प्रौद्योगिकियों जैसे नवाचार भी संभव हो सकते हैं।
- एनर्जी ट्रांजिशन: यह 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से 500 GW ऊर्जा प्राप्त करने और 2070 तक नेट-ज़ीरो उत्सर्जन लक्ष्य को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है।
निजी क्षेत्रक की भागीदारी के समक्ष चुनौतियां
- कानूनी: 1962 का परमाणु ऊर्जा अधिनियम निजी क्षेत्रक को परमाणु संयंत्रों के लिए लाइसेंस देना प्रतिबंधित करता है।
- उत्तरदायित्व निर्धारित करने वाले कानून के बारे में अनिश्चितता: परमाणु क्षति के लिए सिविल उत्तरदायित्व अधिनियम, 2010 को कोर्ट में चुनौती दी जा रही है, जिससे विनियामकीय अनिश्चितता उत्पन्न हो रही है।
- अन्य:
- परमाणु परियोजनाओं की पूंजी गहन प्रकृति के कारण उच्च प्रारंभिक लागत;
- निजी क्षेत्रक द्वारा परमाणु ऊर्जा संयंत्र संचालन के प्रति जनता में विश्वास के लिए पारदर्शिता और सुरक्षा मानकों को सुनिश्चित करने की आवश्यकता आदि।