आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित इसरो के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में तीसरे लॉन्च पैड की स्थापना की जाएगी।
थर्ड (तीसरे) लॉन्च पैड’ (TLP) के बारे में
- मुख्य विशेषताएं: यह नई पीढ़ी के प्रक्षेपण यान (NGLV) कार्यक्रम सहित इसरो के महत्वाकांक्षी भविष्य के मिशनों को सपोर्ट करेगा। साथ ही, यह लॉन्च व्हीकल मार्क-3 (LVM3) यानों को भी सपोर्ट करने के लिए अनुकूल होगा। इन यानों में सेमी-क्रायोजेनिक चरणों वाले LVM3 और NGLV के भविष्य के स्केल-अप संस्करण भी शामिल हैं।
- नए NGLVs को क्षैतिज रूप से भी असेम्बल किया जा सकता है। यह लॉन्च पैड ऐसे NGLVs को प्रक्षेपित करने में सक्षम होगा।
- महत्त्व: अधिक व बार-बार प्रक्षेपण किए जा सकेंगे। साथ ही, भविष्य के मानव अंतरिक्ष उड़ान एवं अंतरिक्ष अन्वेषण मिशनों आदि के लिए भारत की प्रक्षेपण क्षमता मज़बूत होगी।
भारत के मौजूदा लॉन्च पैड
- वर्तमान में, इसरो श्रीहरिकोटा में स्थित 2 लॉन्च पैड पर निर्भर है। ये हैं- फर्स्ट लॉन्च पैड (FLP) और सेकंड लॉन्च पैड (SLP)।
- FLP को पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV) के लिए विकसित किया गया है। यह PSLV और SSLV को लॉन्च करने में सहायता प्रदान कर रहा है।
- SLP मुख्य रूप से GSLV और LVM3 के लिए स्थापित किया गया है और यह PSLV के लिए स्टैंडबाय के रूप में भी कार्य करता है।
- इसी से चंद्रयान-3 मिशन लॉन्च किया गया था और गगनयान मिशन लॉन्च करने की भी तैयारी की जा रही है।
थर्ड लॉन्च पैड’ (TLP) के लिए श्रीहरिकोटा का चुनाव करने का कारण:
- पूर्वी तट पर अवस्थित: श्रीहरिकोटा से पृथ्वी के घूर्णन का लाभ उठाते हुए, पूर्व दिशा में सुविधापूर्वक प्रक्षेपण किया जा सकता है।
- भूमध्य रेखा से निकटता: चूँकि भूमध्य रेखा पर पृथ्वी का पश्चिम से पूर्व की ओर घूमना सबसे तेज़ होता है, परिणामस्वरूप लॉन्च व्हीकल को अतिरिक्त बल मिलता है। इससे पेलोड में और अधिक वृद्धि की जा सकती है तथा परिचालन लागत में कमी आती है।
- सुरक्षा: परीक्षण के लिए कोई प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय समुद्री या एयरलाइन मार्ग नहीं है।
- अन्य: बड़े पैमाने पर निर्जन क्षेत्र और समुद्र के करीब है। इससे लॉन्च व्हीकल का उड़ान पथ पूरी तरह से समुद्र के ऊपर सुनिश्चित हो जाता है।
नई पीढ़ी के प्रक्षेपण यान (NGLV) कार्यक्रम
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