विश्व व्यापार संगठन (WTO) ने इस तथ्य को रेखांकित किया है कि 1990 के दशक के बाद से अधिमान्य व्यापार समझौतों (PTAs) के बढ़ने के बावजूद MFN सिद्धांत ने अपने महत्त्व को बरकरार रखा है।
मोस्ट-फेवर्ड-नेशन (MFN) के बारे में
- इस सिद्धांत के अनुसार कोई देश सामान्यतः अपने व्यापारिक साझेदारों के बीच भेदभाव नहीं कर सकता।
- सरल शब्दों में, यदि कोई देश किसी अन्य देश को विशेष लाभ देता है (जैसे कि उसके किसी उत्पाद पर कम सीमा शुल्क दर) तो उसे अन्य सभी WTO सदस्यों के लिए भी ऐसा ही प्रावधान करना होगा।
- यह सिद्धांत मुख्य रूप से जनरल एग्रीमेंट ऑन टैरिफ एंड ट्रेड (GATT), 1994 के अनुच्छेद-I में अंतर्निहित है।
- जनरल एग्रीमेंट ऑन ट्रेड इन सर्विस (GATS) और बौद्धिक संपदा अधिकारों के व्यापार संबंधी पहलुओं पर समझौते (ट्रिप्स/ TRIPS) में भी MFN को प्राथमिकता दी गई है।
- कार्यान्वयन के लिए तंत्र: WTO के सदस्य देश स्वचालित रूप से एक-दूसरे को MFN का दर्जा प्रदान करेंगे, जब तक कि वे अपने समझौते में या WTO को अधिसूचित प्रतिबद्धताओं की अनुसूची के माध्यम से स्पष्ट रूप से अपवाद नहीं बताते हैं।
- भारत ने कई देशों को MFN का दर्जा दिया है।
- MFN के लिए अपवाद
- व्यापार समझौते: इसमें क्षेत्रीय व्यापार समझौते (RTA) और अधिमान्य व्यापार व्यवस्थाएं (PTAs) शामिल हैं।
- जैसे- ट्रांस-पैसिफिक पार्टनरशिप (CPTPP) समझौता।
- सामान्यीकृत वरीयता प्रणाली (GSP) योजना: इसके तहत, विकसित देश विकासशील देशों और अल्पविकसित देशों (LDCs) से आयात की जाने वाली वस्तुओं पर अधिमान्य टैरिफ उपचार (जैसे आयात पर शून्य या कम शुल्क) की व्यवस्था कर सकते हैं।
- अन्य: एंटी-डंपिंग शुल्क, काउंटरवेलिंग शुल्क, आदि।
- व्यापार समझौते: इसमें क्षेत्रीय व्यापार समझौते (RTA) और अधिमान्य व्यापार व्यवस्थाएं (PTAs) शामिल हैं।
महत्वपूर्ण शब्दावलियां
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