हाल ही में, एक पुरस्कार समारोह में भारत के उपराष्ट्रपति ने अनुसंधान के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि अनुसंधान में जमीनी हकीकत को बदलने और सार्थक प्रभाव डालने की क्षमता है।
अनुसंधान-प्रभाव के बारे में

- आर्थिक और सामाजिक अनुसंधान परिषद (ESRC) के अनुसार, समाज और अर्थव्यवस्था को प्रत्यक्ष रूप से बेहतर बनाने में योगदान देना ही ‘अनुसंधान-प्रभाव’ (रिसर्च इम्पैक्ट) है।
- इसका प्रभाव तात्कालिक या दीर्घकालिक हो सकता है। साथ ही, यह प्रभाव अक्सर संचित ज्ञान पर आधारित होता है। यह किसी एक अनुसंधान के निष्कर्ष पर आधारित नहीं होता है।
- इसमें निम्नलिखित दो तत्व शामिल होते हैं;
- पहुंच (Reach) यानी अनुसंधान से लाभ प्राप्त करने वालों की संख्या या विविधता, और
- महत्व (Significance) यानी अनुसंधान का लाभ उठाने वालों के लिए इसका प्रभाव कितना उपयोगी रहा है।
अनुसंधान के प्रभाव
- शिक्षा पर प्रभाव: इसमें प्रायः सभी शैक्षणिक विषयों पर और विषयों के भीतर अनुसंधान के प्रत्यक्ष योगदान शामिल हैं।
- शिक्षा जगत के बाहर या सामाजिक-आर्थिक प्रभाव: निम्नलिखित अलग-अलग क्षेत्रकों को लाभ पहुंचाकर समाज और अर्थव्यवस्था में योगदान:
- सांस्कृतिक: जनजातीय मूल्यों और रीति-रिवाजों की विशिष्टता पर अनुसंधान से जनजातीयों की प्रथाओं को संरक्षित करने में मदद मिलती है।
- आर्थिक: असमानता और संवृद्धि पर अनुसंधान से सरकार को बेहतर राजकोषीय नीतियां बनाने में मदद मिलती है।
- पर्यावरण पर प्रभाव: रेफ्रिजरेशन में उपयोग होने वाले हाइड्रोफ्लोरोकार्बन पर अनुसंधान ने इसके ग्लोबल वार्मिंग प्रभाव को उजागर किया है।
- स्वास्थ्य पर प्रभाव: जीनोम इंडिया परियोजना के तहत 10,000 जीनोमों का अध्ययन किया जा रहा है। इससे रोगों की पहचान में मदद मिलेगी।
- राजनीतिक प्रभाव: मतदान संबंधी व्यवहार पर अनुसंधान से उम्मीदवारों को चुनावी रणनीतियां बनाने में मदद मिलती है।
- प्रौद्योगिकी संबंधी प्रभाव: नैनो प्रौद्योगिकी और क्वांटम प्रौद्योगिकी पर अनुसंधान ने सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में क्रांति ला दी है।
भारत में अनुसंधान प्रणाली में सुधार हेतु शुरू की गई पहलें
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