RBI ने बैंकिंग प्रणाली में तरलता की स्थिति को प्रबंधित करने के उपायों की घोषणा की | Current Affairs | Vision IAS
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RBI ने बैंकिंग प्रणाली में तरलता की स्थिति को प्रबंधित करने के उपायों की घोषणा की

Posted 29 Jan 2025

8 min read

  • इन उपायों में निम्नलिखित शामिल हैं: 
    • खुला बाजार परिचालनों (OMO) के तहत 60,000 करोड़ रुपये की सरकारी प्रतिभूतियों की खरीद नीलामी आयोजित की जाएगी।
    • 50,000 करोड़ रुपये की 56-दिवसीय परिवर्तनीय रेपो दर (VRR) नीलामी  आयोजित की जाएगी। 
    • छह महीनों की अवधि के लिए 5 बिलियन अमेरिकी डॉलर/ रुपये की खरीद/ बिक्री स्वैप नीलामी की जाएगी।
  • OMO के तहत किसी देश के केंद्रीय बैंक द्वारा खुले बाजार में प्रतिभूतियों की खरीद और बिक्री की जाती है।
  • परिवर्तनीय रेपो दर (VRR) एक अल्पकालिक तरलता समायोजन उपाय है। RBI द्वारा बैंकिंग प्रणाली में धन की आपूर्ति करने के लिए इसका उपयोग किया जाता है।
    • इस व्यवस्था के तहत बैंक नीलामी प्रक्रिया के माध्यम से निर्धारित ब्याज दर पर धन उधार लेते हैं ।
    • नीलामी की राशि RBI द्वारा तय की जाती है।
    • यह तरलता समायोजन सुविधा के तहत एक साधन है।
      • इसके तहत RBI को बाजार की स्थितियों और अन्य प्रासंगिक कारकों के आधार पर निश्चित दर या परिवर्तनीय दर पर ओवरनाइट रेपो या दीर्घकालिक रेपो नीलामी आयोजित करने का विवेकाधिकार प्राप्त है।

भारतीय बैंकों में तरलता की समस्या के लिए जिम्मेदार कारक

  • लैग इफेक्ट: सरकार की ओर से बाजार में तरलता एक अंतराल के बाद पहुंचती है, जिसके कारण तरलता में उतार-चढ़ाव होता है।
  • मुद्रास्फीति नियंत्रण उपाय: कभी-कभी RBI मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए ब्याज दरों को अधिक रखता है।
  • अन्य: इसमें त्यौहारों के दौरान नकदी की निकासी में वृद्धि होना; पिछले एक वर्ष में बैंकों द्वारा ऋण में दी गई राशि की तुलना में जमा राशि में धीमी वृद्धि होना, आदि शामिल हैं।
  • Tags :
  • RBI
  • बैंकिंग प्रणाली में तरलता
  • लैग इफेक्ट
  • परिवर्तनीय रेपो दर
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