इस रिपोर्ट में संयुक्त राज्य अमेरिका, UK, चीन, स्वीडन, ऑस्ट्रेलिया आदि देशों से भारत की स्कूली शिक्षा प्रणाली की तुलना की गई है। रिपोर्ट में स्कूली शिक्षा प्रणालियों के विभिन्न आयामों जैसे कि स्कूली संरचना, शिक्षा पद्धति, फंडिंग, मूल्यांकन और स्कूली शिक्षा में समानता-असमानता के आधार पर तुलना की गई है।
भारत की स्कूली शिक्षा प्रणाली की अन्य देशों के साथ तुलना

भारतीय शिक्षा प्रणाली के समक्ष चुनौतियां
- क्षेत्रीय असमानताएं और लैंगिक अंतराल,
- आवश्यक अवसंरचना की कमी और ग्रामीण-शहरी असमानताएं,
- समग्र शिक्षा के अभाव के कारण समतापूर्ण शिक्षा में बाधा,
- 21वीं सदी के लिए आवश्यक कौशल की कमी, जिसके कारण रोजगार मिलने में बाधा आती है।
रिपोर्ट में की गई मुख्य सिफारिशें
- शिक्षा बजट में वृद्धि करना: शिक्षा के क्षेत्र में GDP का 6% खर्च करने का लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए, ताकि कौशल विकास, अवसंरचना सुधार और नवाचार आधारित शिक्षा प्रणाली को प्रोत्साहन मिल सके।
- डिजिटल शिक्षा: डिजिटल अंतराल को समाप्त करने, स्थानीय परिवेश के हिसाब से स्टडी मटेरियल बनाने और शिक्षकों को डिजिटल रूप से साक्षर बनाने पर ध्यान देना चाहिए।
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को मजबूती से लागू करना: कौशल-आधारित शिक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने के लिए शिक्षकों के प्रशिक्षण, फ्लेक्सिबल पाठ्यक्रम और प्रौद्योगिकी पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
- सिलेबस की रूपरेखा: एक ऐसा समावेशी पाठ्यक्रम तैयार किया जाना चाहिए, जो क्षेत्रीय विविधताओं को शामिल करते हुए कौशल-आधारित शिक्षा को प्राथमिकता दे।
- असमानताओं का समाधान: स्वीडन के दिव्यांगजन-समावेशी फ्रेमवर्क जैसे मॉडल से प्रेरणा लेते हुए ग्रामीण अवसंरचना (जैसे- स्कूल आदि) के विकास, समावेशी पाठ्यक्रम और कुशल शिक्षकों को प्रोत्साहन देना चाहिए।
- शिक्षण विधियों में बदलाव: शिक्षकों को इंटरैक्टिव शिक्षण विधियों का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए, ताकि वे बच्चों को बदलते परिवेश में समझदारी और आत्मविश्वास के साथ निर्णय लेने के लिए सक्षम बना सकें।