हाल ही में, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी से संबंधित भारतीय निजी कंपनी पिक्सल ने भारत का पहला निजी उपग्रह समूह 'फायरफ्लाई' लॉन्च किया।
- फायरफ्लाई उपग्रह समूह के पहले तीन उपग्रहों को स्पेसएक्स के ट्रांसपोर्टर-12 मिशन के तहत सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया गया। उन्हें कैलिफोर्निया के वैंडेनबर्ग स्पेस फोर्स बेस से प्रक्षेपित किया गया है।
- फायरफ्लाई, पिक्सल का प्रमुख हाइपरस्पेक्ट्रल इमेजिंग (HIS) उपग्रह समूह है। इसमें अब तक के उच्चतम-रिज़ॉल्यूशन वाले 6 वाणिज्यिक हाइपरस्पेक्ट्रल उपग्रह शामिल हैं।
हाइपरस्पेक्ट्रल इमेजिंग (HSI) उपग्रहों के बारे में

- HSI के तहत प्रत्येक पिक्सेल को केवल प्राथमिक रंग (लाल, हरा व नीला) प्रदान करने की बजाय प्रकाश के एक विस्तृत स्पेक्ट्रम का विश्लेषण किया जाता है। इससे प्रभावी रूप से पृथ्वी की स्पेक्ट्रल फिंगरप्रिंटिंग करना संभव हो जाता है।
- HSI से हमें अधिक जानकारी मिल सकती है। उदाहरण के लिए, एक सामान्य उपग्रह अंतरिक्ष से वन की पहचान कर सकता है, वहीं HSI विभिन्न प्रकार के वृक्षों के बीच अंतर कर सकता है। साथ ही, प्रत्येक वृक्ष के स्वास्थ्य का निर्धारण भी कर सकता है।
उपग्रह समूह (Satellite Constellation) के बारे में
- यह समान उद्देश्य और साझा नियंत्रण वाले समरूप कृत्रिम उपग्रहों का एक नेटवर्क होता है। इसे एक प्रणाली के रूप में काम करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
- ये पृथ्वी पर स्थित ग्राउंड स्टेशनों के साथ कनेक्ट रहते हैं और कभी-कभी एक-दूसरे के कार्यों को पूरा करने के लिए आपस में कनेक्ट भी हो जाते हैं।
- 2,146 सक्रिय उपग्रहों के साथ स्टारलिंक सबसे बड़ा उपग्रह समूह है।
- प्रकार: ये कक्षा की ऊंचाई के आधार पर तीन प्रकार के होते हैं-
- भू-स्थिर कक्षा (GEO): यह कक्षा 36,000 कि.मी. की ऊंचाई पर होती है। उपग्रह इस कक्षा में इस तरह से पृथ्वी की परिक्रमा लगाते हैं कि उनकी गति पृथ्वी की घूर्णन गति के समान रहती है।
- मध्य भू-कक्षा (MEO): यह कक्षा 5,000 से 20,000 कि.मी. की ऊंचाई पर होती है। यह कक्षा मुख्य रूप से नेविगेशन उद्देश्यों के लिए प्रयोग की जाती है।
- निम्न भू-कक्षा (LEO): यह कक्षा 500 से 1,200 कि.मी. की ऊंचाई पर होती है। यह कक्षा अनुसंधान, दूरसंचार और भू-पर्यवेक्षण जैसे कार्यों के लिए उपयोग की जाती है।