मेघालय की सीमा से लगे असम के दिमा हसाओ जिले के उमरांग्सो में एक जलमग्न कोयला खदान में नौ मजदूर फंस गए।
रैट होल माइनिंग के बारे में
- खनन तंत्र: रैट-होल खनन में आमतौर पर 3-4 फीट गहरी संकरी सुरंग बनाई जाती है। इन सुरंगों में श्रमिक (अक्सर बच्चे) घुटनों के बल प्रवेश करते हैं और कोयला निकालते हैं।
- ये सुरंगे क्षैतिज आकार की होती हैं। इनका नाम "रैट-होल्स" इसलिए पड़ा क्योंकि ऐसी प्रत्येक सुरंग में लगभग एक ही व्यक्ति प्रवेश कर सकता है।
- कोयला खनन की यह तकनीक मेघालय में अधिक प्रचलित है, क्योंकि वहां कोयले की परत पतली है।
- रैट होल माइनिंग विधि को व्यापक रूप से अपनाने के कारण:
- प्राकृतिक कारक: मेघालय में कोयले की परतें बहुत पतली है, जो ओपन-कास्ट खनन विधि के लिए उपयुक्त नहीं है। इन पतली परतों के लिए रैट-होल खनन विधि अधिक किफायती साबित होती है।
- एडवांस ड्रिलिंग विधियों की उच्च लागत और दुर्गम क्षेत्र के कारण रैट-होल खनन विधि को प्राथमिकता दी जाती है। मेघालय में खनिकों का कहना है कि ओपनकास्ट खनन विधि की तुलना में रैट-होल खनन विधि उनके लिए आर्थिक रूप से अधिक लाभकारी है।
- गवर्नेंस संबंधी मुद्दे: संविधान की छठी अनुसूची भूमि पर जनजातीय अधिकारों की रक्षा से जुड़े प्रावधान करती है।
- गौरतलब है कि छठी अनुसूची के तहत आने वाले क्षेत्रों में भूमि मालिकों को ही खनिजों का स्वामी माना जाता है। साथ ही, 1973 का कोयला खान राष्ट्रीयकरण अधिनियम इन क्षेत्रों में स्थित खदानों पर लागू नहीं होता है।
- प्राकृतिक कारक: मेघालय में कोयले की परतें बहुत पतली है, जो ओपन-कास्ट खनन विधि के लिए उपयुक्त नहीं है। इन पतली परतों के लिए रैट-होल खनन विधि अधिक किफायती साबित होती है।
- कानूनी स्थिति: वर्ष 2014 में, राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने मेघालय में रैट होल खनन पर प्रतिबंध लगा दिया था। न्यायालय ने इस खनन तकनीक को अवैज्ञानिक और श्रमिकों के लिए असुरक्षित बताया है।
- हालांकि, वर्ष 2019 में उच्चतम न्यायालय ने कहा कि यदि खान और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम तथा खनिज रियायत नियम, 1960 के तहत कोयला खनन किया जाता है, तो NGT का प्रतिबंध लागू नहीं होगा।
