रणथंभौर टाइगर रिजर्व | Current Affairs | Vision IAS
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Posted 15 Jan 2025

35 min read

रणथंभौर टाइगर रिजर्व

एक रिपोर्ट के अनुसार, प्रस्तावित पार्वती-कालीसिंध-चंबल-पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (PKC-ERCP) की वजह से रणथंभौर टाइगर रिजर्व के जलमग्न होने का खतरा है।

रणथंभौर टाइगर रिजर्व के बारे में

  • अवस्थिति: यह अरावली और विंध्य पहाड़ियों के बीच स्थित है।
  • इसे 1973 में टाइगर रिजर्व घोषित किया गया था। इस रिजर्व में रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान; सवाई माधोपुर अभयारण्य; कैलादेवी अभयारण्य; राष्ट्रीय घड़ियाल अभयारण्य का हिस्सा आदि शामिल हैं।
  • नदियां: इस रिजर्व के उत्तर में बनास नदी और दक्षिण में चंबल नदी बहती हैं।
  • प्राप्त वनस्पतियां: इसमें सबसे अधिक संख्या में धोक वृक्ष (एनोगाइसस पेंडुला/ Anogeissus pendula) पाए जाते हैं।
  • प्राप्त जीव-जंतु: रॉयल बंगाल टाइगर, तेंदुआ, भारतीय जंगली सूअर, चीतल, सर्पेंट ईगल, जलपक्षी, जलकाग (Cormorant), पेंटेड स्परफाउल, सारस क्रेन, आदि।
  • सांस्कृतिक महत्त्व: इस टाइगर रिजर्व के भीतर स्थित रणथंभौर किले को ‘यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल’ सूची में शामिल किया गया है।
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  • यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल
  • रणथंभौर टाइगर रिजर्व
  • राजस्थान नहर परियोजना (PKC-ERCP)

घर से मतदान (Home voting)

हाल ही में, 2,900 से अधिक वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांग-जनों (PWDs) ने आगामी दिल्ली विधान सभा चुनाव के लिए घर से मतदान करने हेतु आवेदन किया।

‘घर से मतदान’ के बारे में

  • यह एक प्रकार की डाक मतपत्र सुविधा (Postal ballot facility) है। यह सुविधा पहली बार 2024 के लोक सभा चुनावों के दौरान वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांग जनों द्वारा वोट डालना सुगम बनाने के लिए शुरू की गई थी।
  • पात्रता: 
    • 85 वर्ष या उससे अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिक; तथा 
    • 40% या उससे अधिक संदर्भित दिव्यांगता वाले दिव्यांगजन।
  • केंद्रीय विधि और न्याय मंत्रालय ने 2024 के लोक सभा चुनाव से ठीक पहले निर्वाचनों का संचालन नियम, 1961 में संशोधन किया था। इस संशोधन का उद्देश्य 85 वर्ष और उससे अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकों के लिए डाक मतपत्र से मतदान करने की अनुमति देना है।  
  • Tags :
  • घर से मतदान
  • निर्वाचनों का संचालन नियम, 1961

हाइड्रोक्लाइमेट व्हिपलैश

विशेषज्ञों ने अमेरिका में वनाग्नि की भीषणता के लिए हाइड्रोक्लाइमेट व्हिपलैश को जिम्मेदार माना है। 

  • जलवायु परिवर्तन ने हाइड्रोक्लाइमेट व्हिपलैश घटना को और गंभीर बना दिया है।

हाइड्रोक्लाइमेट व्हिपलैश के बारे में

  • यह मौसम संबंधी दुर्लभ हाइड्रो-क्लाइमेटिक अस्थिरता की स्थिति है। अत्यधिक आर्द्र मौसम के बाद अत्यधिक शुष्क मौसम के आने से यह स्थिति उत्पन्न होती है।
  • प्रभाव:
    • अचानक बाढ़, वनाग्नि, भूस्खलन, बीमारी का प्रकोप जैसे खतरें बढ़ जाते हैं।
    • हानिकारक शैवाल प्रस्फुटन (Harmful algal blooms) बढ़ने या जल में अत्यधिक कार्बनिक या खनिज सामग्री के मिलने से जल की गुणवत्ता प्रभावित होती है।
    • पादपों की उत्पादक क्षमता कम हो जाती है, फसल नष्ट हो जाती हैं, बड़ी संख्या में मवेशी मर जाते हैं आदि। इन वजहों से खाद्य संकट उत्पन्न हो जाता है।
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  • जलवायु परिवर्तन
  • हाइड्रोक्लाइमेट व्हिपलैश

भार्गवास्त्र (Bhargavastra)

भारत ने अपनी पहली स्वदेशी माइक्रो-मिसाइल प्रणाली भार्गवास्त्र’ का सफलतापूर्वक परीक्षण किया। इसे स्वार्म ड्रोन के खतरों से निपटने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

  • स्वार्म ड्रोन वास्तव में कई मानव-रहित हवाई वाहनों (UAVs) के समूह होते हैं। ये सभी समन्वित प्रणाली के रूप में एक-साथ कार्य करते हैं।

भार्गवास्त्र की मुख्य विशेषताएं

  • ड्रोन का पता लगाने की क्षमता: यह प्रणाली 6 किलोमीटर से अधिक दूरी पर स्थित ड्रोन का पता लगाने में सक्षम है।
  • त्वरित प्रतिक्रिया: इसे गतिमान प्लेटफॉर्म पर तुरंत तैनात किया जा सकता है।
  • मल्टी-टारगेट इंगेजमेंट: यह प्रणाली एक साथ 64 टार्गेट्स का पता लगाकर उन्हें ट्रैक और निष्क्रिय कर सकती है।
  • गाइडेड माइक्रो म्यूनिशन्स: यह पहचाने गए खतरों की ओर सूक्ष्म हथियारों को निर्देशित करके उन्हें निष्क्रिय कर सकती है।
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  • भार्गवास्त्र
  • स्वार्म ड्रोन
  • मल्टी-टारगेट इंगेजमेंट
  • गाइडेड माइक्रो म्यूनिशन्स

इलेक्ट्रोकाइनेटिक माइनिंग

हाल ही में, एक शोध दल ने इलेक्ट्रोकाइनेटिक माइनिंग (EKM) विकसित की है। यह अयस्कों से दुर्लभ भू-तत्वों (Rare earth elements-REEs) को निकालने की एक पर्यावरण-अनुकूल तकनीक है।

  • REEs, 17 धात्विक तत्वों का एक समूह है। इन तत्वों में विशिष्ट चुंबकीय, इलेक्ट्रॉनिक और रासायनिक गुण होते हैं। 
  • ये खनिज आधुनिक प्रौद्योगिकियों के निर्माण के लिए अधिक उपयोगी हैं।

इलेक्ट्रोकाइनेटिक माइनिंग (EKM) के बारे में

  • यह एक नवीन तकनीक है। यह तकनीक अयस्कों से दुर्लभ भू-तत्वों (REEs) की प्राप्ति के लिए इलेक्ट्रोकाइनेटिक्स का उपयोग करती है। 
    • "इलेक्ट्रोकाइनेटिक्स" आवेशित कणों या तरल पदार्थों की विद्युत चालित यांत्रिक गति का अध्ययन है। 
  • मुख्य विशेषताएं
    • उच्च प्राप्ति दर: इस तकनीक से अयस्कों से 95% से अधिक REEs प्राप्त कर ली जाती है।
    • पर्यावरण अनुकूल: यह तकनीक वातावरण में रासायनिक रिसाव को 80% और ऊर्जा खपत को 60% तक कम करती है। इस तरह यह तकनीक खनिज के संधारणीय खनन में योगदान देती है।
  • Tags :
  • इलेक्ट्रोकाइनेटिक माइनिंग
  • संधारणीय खनन

गंगासागर मेला

मकर संक्रांति के पावन अवसर पर लाखों श्रद्धालुओं ने गंगासागर मेले में डुबकी लगाई।

गंगासागर मेले के बारे में

  • अवस्थिति: यह मेला पश्चिम बंगाल के सुंदरबन डेल्टा में स्थित सागर द्वीप पर आयोजित किया जाता है। 
    • यह द्वीप उस बिंदु पर स्थित है, जहां गंगा नदी बंगाल की खाड़ी में गिरती है।
  • यह एक वार्षिक धार्मिक मेला है। मेले का मुख्य अनुष्ठान विशेष रूप से मकर संक्रांति पर सूर्योदय के समय संगम में स्नान करना है।
  • तीर्थ स्थल: ऋषि कपिल मुनि को समर्पित कपिल मुनि मंदिर।
  • महत्त्व: कुंभ मेले के बाद दूसरा सबसे बड़ा आयोजन है।
  • Tags :
  • मकर संक्रांति
  • गंगासागर मेला
  • सागर द्वीप

सेंट्रल सस्पेक्ट रजिस्ट्री

केंद्र ने केवल 90 दिनों में छह लाख धोखाधड़ी वाले लेन-देन को कम किया है और 1,800 करोड़ रुपये बचाए हैं।

सेंट्रल सस्पेक्ट रजिस्ट्री के बारे में 

  • भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) ने बैंकों और वित्तीय मध्यस्थों के सहयोग से सेंट्रल सस्पेक्ट रजिस्ट्री की स्थापना की है।
  • उद्देश्य: वित्तीय इकोसिस्टम में धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन को बढ़ाना।
  • विशेषताएं:
    • इसमें 1.4 मिलियन साइबर अपराधियों का डेटा शामिल है।
    • यह रजिस्ट्री साइबर अपराध के संदिग्धों पर समेकित डेटा के साथ एक केंद्र-स्तरीय डेटाबेस के रूप में काम करेगी।
    • यह रजिस्ट्री राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (NCRP) के डेटा का उपयोग करके साइबर अपराधियों को पहचानने में मदद करेगी।
  • Tags :
  • I4C
  • राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (NCRP)

डिएगो गार्सिया

कन्याकुमारी के 15 भारतीय मछुआरों को डिएगो गार्सिया द्वीप के पास गिरफ्तार किया गया है।

डिएगो गार्सिया के बारे में

  • डिएगो गार्सिया उन 60 द्वीपों में से एक है, जो चागोस द्वीपसमूह या ब्रिटिश हिंद महासागर क्षेत्र (BIOT) का निर्माण करते हैं। यह चागोस द्वीपसमूह का सबसे बड़ा दक्षिणी द्वीप है।
  • इतिहास: BIOT को 1965 में मॉरीशस से अलग कर यूनाइटेड किंगडम ने अपना अंतिम उपनिवेश बनाया था। 
  • सामरिक महत्त्व: यहां सामरिक अमेरिकी सैन्य अड्डा है। इसका इस्तेमाल मध्य पूर्व, एशिया और अफ्रीका में निगरानी, ​​ईंधन भरने और परिचालनों के लिए किया जाता है।
  • हाल ही में यूनाइटेड किंगडम ने दशकों के विवाद के बाद चागोस द्वीप समूह की संप्रभुता मॉरीशस को सौंप दी है। यद्यपि डिएगो गार्सिया अभी भी उसके नियंत्रण में है।
  • Tags :
  • डिएगो गार्सिया
  • BIOT
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