वाटरशेड डेवलपमेंट: यह जल संरक्षण तथा भूमि एवं वनस्पति की गुणवत्ता में सुधार के लिए जलग्रहण यानी वाटरशेड क्षेत्र के भीतर प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन की प्रक्रिया है।
- वाटरशेड: वाटरशेड एक भौगोलिक क्षेत्र है, जहां से वर्षा जल या बर्फ के पिघलने के बाद जल अलग-अलग चैनलों (धाराओं) से बहते हुए खाड़ियों, झरनों, नदियों और अंततः किसी बड़े जलाशय या समुद्र में मिल जाता है।
PMKSY 2.0 के वाटरशेड डेवलपमेंट घटक के तहत स्वीकृत परियोजनाओं की मुख्य विशेषताएं
- कार्यान्वयन: ग्रामीण विकास मंत्रालय के तहत भूमि संसाधन विभाग।

- शामिल राज्य: राजस्थान, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, ओडिशा, तमिलनाडु, असम, नागालैंड, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और सिक्किम।
- क्षेत्र कवरेज: प्रति परियोजना लगभग 5,000 हेक्टेयर (पहाड़ी क्षेत्रों में कम)।
प्रधान मंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY-WDC) के वाटरशेड डेवलपमेंट घटक के बारे में
- पृष्ठभूमि:
- यह एक केंद्र प्रायोजित योजना (CSS) है। भूमि संसाधन विभाग 2009-10 से 'एकीकृत वाटरशेड प्रबंधन कार्यक्रम' (IWMP) को लागू कर रहा है।
- WDC-PMKSY 1.0: 2015-16 में, IWMP को प्रधान मंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY) की अम्ब्रेला योजना के वाटरशेड डेवलपमेंट घटक के रूप में शामिल किया गया था।
- WDC-PMKSY 2.0: इसकी शुरुआत PMKSY-WDC 1.0 की सफलता को देखते हुए की गई है।
- WDC-PMKSY 2.0 की अवधि: 2021-2026 तक।
- लक्ष्य: 49.50 लाख हेक्टेयर।
- इसके निम्नलिखित उद्देश्य हैं:
- भूमि क्षरण की समस्या का समाधान करना,
- किसानों की आय में वृद्धि करना, तथा
- मृदा संरक्षण, वर्षा जल संचयन और चारागाह विकास जैसी गतिविधियों का समर्थन करके जलवायु लचीलेपन में सुधार करना।
प्रधान मंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY) के बारे में
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