स्टार्ट-अप इंडिया पहल को 2016 में उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (DPIIT) की एक प्रमुख पहल के रूप में शुरू किया गया था।
स्टार्ट-अप इंडिया पहल की मुख्य विशेषताएं
- उद्देश्य: भारत में स्टार्ट-अप संस्कृति को बढ़ावा देना तथा नवाचार और उद्यमिता के लिए एक मजबूत एवं समावेशी इकोसिस्टम का निर्माण करना।
- इस पहल की मुख्य विशेषताओं पर एक नजर:
- कारोबार करने की सुगमता: इसके तहत सरलीकृत अनुपालन, स्व-प्रमाणन और सिंगल विंडो क्लियरेंस को बढ़ावा दिया गया है।
- कर संबंधी लाभ: इसमें लगातार तीन वित्त वर्षों के लिए कर संबंधी छूट का प्रावधान किया गया है।
- वित्त-पोषण संबंधी सहायता: स्टार्ट-अप्स के लिए प्रारंभिक चरण के वित्त-पोषण हेतु मदद के लिए 10,000 करोड़ रुपये का फंड ऑफ फंड्स फॉर स्टार्ट-अप्स (FFS) का निर्माण किया गया है।
- क्षेत्रक-विशिष्ट नीतियां: इसमें जैव प्रौद्योगिकी, कृषि और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे क्षेत्रकों के लिए नीतियां शामिल हैं।
- स्टार्ट-अप इंडिया के अंतर्गत प्रमुख योजनाएं
- स्टार्ट-अप इंडिया सीड फंड योजना (SISFS): यह चार साल की योजना है। यह स्टार्ट-अप्स को प्रूफ ऑफ कॉन्सेप्ट, प्रोटोटाइप विकास, वाणिज्यीकरण आदि क्षेत्रों में सहायता प्रदान करती है।
- स्टार्ट-अप्स के लिए ऋण गारंटी योजना (CGSS): यह योजना पात्र स्टार्टअप्स को दिए गए ऋणों पर गारंटी प्रदान करती है।
- फंड ऑफ फंड्स फॉर स्टार्ट-अप्स (FFS) योजना: इसका उद्देश्य भारतीय स्टार्ट-अप्स की घरेलू पूंजी तक पहुंच को बढ़ाना है।
इसके तहत हासिल प्रमुख उपलब्धियां
- स्टार्ट-अप्स की संख्या में वृद्धि: DPIIT द्वारा मान्यता प्राप्त स्टार्ट-अप्स की संख्या 2016 की 500 से बढ़कर वर्तमान 2025 में 1.59 लाख हो गई है।
- स्टार्ट-अप इकोसिस्टम: भारत 100 से अधिक यूनिकॉर्न के साथ दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्ट-अप इकोसिस्टम बन गया है।
- रोजगार सृजन: इसके तहत 31 अक्टूबर 2024 तक 16.6 लाख से अधिक प्रत्यक्ष नौकरियों का सृजन हुआ है।
- महिला सशक्तीकरण: 73,151 मान्यता प्राप्त स्टार्ट-अप्स में कम-से-कम एक महिला निदेशक है।
स्टार्ट-अप इंडिया के तहत अन्य पहलें
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