प्रधान मंत्री ने तीन अग्रिम पंक्ति के नौसैनिक लड़ाकू पोतों (INS सूरत, INS नीलगिरि और INS वाघशीर) राष्ट्र को समर्पित किया।
यह पहली बार है, जब स्वदेशी रूप से विकसित एक विध्वंसक, एक फ्रिगेट और एक पनडुब्बी को एक साथ कमीशन किया जा रहा है। यह नौसेना के लिए स्वदेशीकरण और समुद्री सुरक्षा में वैश्विक लीडर बनने के भारत के विज़न को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
तीन अग्रिम पंक्ति के नौसैनिक लड़ाकू पोतों के बारे में
- INS सूरत: यह P15B गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर प्रोजेक्ट का चौथा और अंतिम पोत है।
- INS नीलगिरि: इसे भारतीय नौसेना के वॉरशिप डिज़ाइन ब्यूरो ने डिज़ाइन किया है। यह P17A स्टील्थ फ्रिगेट प्रोजेक्ट का पहला पोत है।
- INS वाघशीर: यह मुंबई स्थित मझगांव डॉक लिमिटेड द्वारा निर्मित है। यह P75 स्कॉर्पीन प्रोजेक्ट के तहत विकसित की गई छठी और अंतिम पनडुब्बी है।
- यह फ्रेंच स्कॉर्पीन-क्लास डिजाइन पर आधारित कलवरी-क्लास की स्वदेशी रूप से निर्मित पनडुब्बी है।
भारतीय नौसेना के लिए स्वदेशीकरण के प्रयास

- नीतियां
- भारतीय नौसेना का मेरीटाइम कैपबिलिटी पर्सपेक्टिव प्लान (MCPP): इसका उद्देश्य 2027 तक 200 जहाजों का बेड़ा तैयार करना है। इसका विज़न ‘खरीदार नौसेना की जगह विनिर्माता नौसेना’ का लक्ष्य हासिल करना है।
- भारतीय नौसेना स्वदेशीकरण योजना (INIP) 2015-2030: इस योजना के तहत जहाजों के विनिर्माण कार्य में संलग्न MSMEs सहित घरेलू उद्योगों को प्रोत्साहन प्रदान किया जाता है।
- मेक इन इंडिया पहल में भारतीय नौसेना को शामिल करना: पिछले दशक में नौसेना में शामिल 40 नौसैनिक जहाजों में से 39 का निर्माण भारतीय शिपयार्ड में किया गया था।
- उदाहरण के लिए INS विक्रांत (विमान वाहक), INS अरिहंत और INS अरिघाट (परमाणु ऊर्जा चालित पनडुब्बी)।
- अनुसंधान एवं विकास पहल: अंडरवाटर डोमेन अवेयरनेस (समुद्रयान परियोजना); हिंद महासागर के तटीय देशों के साथ वैज्ञानिक साझेदारी तथा माइंस का पता लगाने जैसे उच्च जोखिम वाले परिवेश के लिए स्वायत्त प्रणालियों का विकास आदि।