एक अनुमान के अनुसार हिमालय में स्थित याला ग्लेशियर 2040 तक समाप्त हो जाएगा | Current Affairs | Vision IAS
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एक अनुमान के अनुसार हिमालय में स्थित याला ग्लेशियर 2040 तक समाप्त हो जाएगा

Posted 18 Jan 2025

13 min read

याला ग्लेशियर नेपाल में स्थित है। यह 1974 और 2021 के बीच 680 मीटर पीछे हट गया था। इसके कारण इसके क्षेत्रफल में काफी कमी (36%) आई है।

  • यह संपूर्ण हिमालय में एकमात्र ग्लेशियर है, जिसे ग्लोबल ग्लेशियर कैजुअल्टी लिस्ट (GGCL) में शामिल किया गया है। GGCL ग्लेशियरों और क्रायोस्फीयर पर जलवायु परिवर्तन के तीव्र प्रभावों को उजागर करता है।
    • क्रायोस्फीयर पृथ्वी का वह जमा हुआ हिस्सा है, जिसमें बर्फ, हिम (ग्लेशियर) और जमी हुई भूमि (फ्रोजन ग्राउंड) शामिल हैं।
  • GGCL परियोजना को 2024 में राइस यूनिवर्सिटी, यूनिवर्सिटी ऑफ आइसलैंड, आइसलैंड ग्लेशियोलॉजिकल सोसाइटी, वर्ल्ड ग्लेशियर मॉनिटरिंग सर्विस और यूनेस्को द्वारा लॉन्च किया गया था।

ग्लेशियर के पीछे हटने के बारे में

  • ग्लेशियर का पीछे हटना वह प्रक्रिया है, जिसमें ग्लेशियरों का आकार और द्रव्यमान हिम के पिघलने, वाष्पीकरण एवं अन्य कारणों से कम हो जाता है।
  • समाप्त हो चुके ग्लेशियर: वेनेजुएला का पिको हम्बोल्ट ग्लेशियर (2024), फ्रांस का सरेन ग्लेशियर (2023) आदि।
    • ऐसा अनुमान है कि चीन का दागू ग्लेशियर 2030 तक समाप्त हो जाएगा।

पिघलते ग्लेशियरों/ क्रायोस्फेयर के प्रभाव

  • पारिस्थितिकी-तंत्र और आजीविका को नुकसान: ग्लेशियर और हिम चादरों में दुनिया का  लगभग 70% ताजा जल मौजूद है, जो पारिस्थितिकी-तंत्र और मानव जीवन के लिए आवश्यक है।
    • उदाहरण के लिए- हिन्दू कुश हिमालय में रहने वाले 240 मिलियन लोग अपनी आजीविका एवं अन्य गतिविधियों के लिए क्रायोस्फीयर पर निर्भर हैं।
  • ग्लेशियल या हिमनदीय झील के तटबंध टूटने से उत्पन्न बाढ़ (GLOF) का बढ़ता जोखिम: तेजी से पिघलते ग्लेशियर से अस्थिर हिमनदीय झीलें बनती हैं। इन झीलों के तटबंध टूटने से  विनाशकारी बाढ़ आ सकती है।
  • क्लाइमेट फीडबैक लूप: पिघलते ग्लेशियर पृथ्वी के एल्बिडो को कम करते हैं। इससे  अधिक ऊष्मा उत्पन्न होती है और ग्लोबल वार्मिंग की दर तेज हो जाती है।

 

क्रायोस्फीयर या हिममंडल के संरक्षण के लिए शुरू की गई पहलें

वैश्विक स्तर पर 

  • संयुक्त राष्ट्र की पहलें:
    • वर्ष 2025 को ग्लेशियरों के संरक्षण का अंतर्राष्ट्रीय वर्ष घोषित किया गया है।
    • प्रतिवर्ष 21 मार्च को ‘विश्व ग्लेशियर दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।
  • अन्य पहलें: IUCN द्वारा हिमालयन एडेप्टेशन नेटवर्क और WWF द्वारा लिविंग हिमालयाज़ इनिशिएटिव।

भारत की पहलें:

  • हिमालयी पारिस्थितिकी-तंत्र को बनाए रखने के लिए राष्ट्रीय मिशन;
  • भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र (INCOIS): यह ग्लेशियर से संबंधित घटनाओं पर नज़र रखता है और GLOF अलर्ट जारी करता है।
  • आर्कटिक और अंटार्कटिका के लिए मिशन जैसे, IndARC (2014)।
  • Tags :
  • याला ग्लेशियर
  • GGCL
  • क्रायोस्फेयर
  • GLOF
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