रबड़ अधिनियम, 1947 की प्लेटिनम जयंती के अवसर पर भारतीय संधारणीय प्राकृतिक रबड़ (iSNR) और INR कनेक्ट नामक पहलों को शुरू किया गया है।
- 1947 के अधिनियम में देश में रबड़ उद्योग के समग्र विकास को सुनिश्चित करने के लिए रबड़ बोर्ड की स्थापना का प्रावधान किया गया था। रबड़ बोर्ड, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अधीन कार्य करता है।
शुरू की गई पहलों के बारे में
- भारतीय संधारणीय प्राकृतिक रबड़ (iSNR): इसका उद्देश्य भारतीय रबड़ उत्पादन को यूरोपीय यूनियन डिफ़ॉरेस्टेशन रेगुलेशन (EUDR) के सख्त मानकों के अनुरूप सुनिश्चित करना है।
- iSNR की एक प्रमुख विशेषता इसका ट्रेसिबिलिटी प्रमाणन है। यह रबड़ के उत्पत्ति स्थल की गारंटी और उसकी पुष्टि का प्रमाणन है।
- INR कनेक्ट (वेब-आधारित प्लेटफॉर्म): यह अप्रयुक्त या कम उपयोग हुए रबड़ बागान के उत्पादकों और ऐसे बागानों को अपनाने वाले इच्छुक लोगों को कनेक्ट करता है, जिससे रबड़ की उत्पादकता को बढ़ाया जा सके।
भारत के रबड़ क्षेत्रक की स्थिति
- स्थिति: भारत प्राकृतिक रबड़ का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक और चौथा सबसे बड़ा उपभोक्ता है।
- थाईलैंड विश्व में अग्रणी रबड़ उत्पादक है, उसके बाद इंडोनेशिया का स्थान है।
- शीर्ष उत्पादक राज्य: केरल भारत की 90% से अधिक प्राकृतिक रबड़ का उत्पादन करता है।
- प्राकृतिक रबड़ का उत्पादन तमिलनाडु, कर्नाटक, त्रिपुरा, असम और मेघालय जैसे राज्यों में भी होता है।
- प्रमुख चुनौतियां: भारत के 20-25% रबड़ बागानों का दोहन नहीं हुआ है; जलवायु परिवर्तन (जैसे मूसलाधार बारिश); EUDR मानकों का कार्यान्वयन आदि।
रबड़ फसल के बारे में
रबड़ क्षेत्रक के लिए शुरू की गई अन्य प्रमुख पहलें
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