आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस प्रसार के लिए फ्रेमवर्क (Framework for Artificial Intelligence Diffusion)
हाल ही में संयुक्त राज्य अमेरिका की सरकार ने 'आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस प्रसार के लिए फ्रेमवर्क' जारी किया। इस फ्रेमवर्क का उद्देश्य वैश्विक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) मार्केट के लिए निर्यात और सुरक्षा नियम लागू करना है।
- इस फ्रेमवर्क के तहत, भारत द्वारा GPU (ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट) के आयात पर कुछ प्रतिबंध लगाए गए हैं। ये प्रतिबंध भारत की कंप्यूटिंग क्षमता को सुरक्षित तरीके से होस्ट नहीं करने की स्थिति में लागू होंगे।
‘AI प्रसार के लिए फ्रेमवर्क’ के बारे में
- यह फ्रेमवर्क उन्नत AI तकनीक के प्रसार को नियंत्रित करने का प्रयास करता है, ताकि इसके आर्थिक और सामाजिक लाभों को बढ़ावा दिया जा सके। साथ ही, संयुक्त राज्य अमेरिका के हितों की रक्षा भी की जा सके।
- यह निम्नलिखित त्रि-स्तरीय रणनीति पर आधारित है:
- विशेष छूट: कुछ सहयोगी देशों और भागीदारों को AI तकनीक और GPU के निर्यात एवं पुनः निर्यात की अनुमति दी गई है।
- सप्लाई चेन में छूट: उन्नत कंप्यूटिंग चिप्स के निर्यात की अनुमति देने के लिए आपूर्ति श्रृंखलाओं में कुछ छूट दी गई है।
- आंशिक छूट: सीमित मात्रा में कंप्यूटिंग संसाधनों के वैश्विक स्तर पर विनिमय की अनुमति दी गई है। हालांकि, यह छूट उन देशों के लिए नहीं है, जिन पर हथियारों की खरीद-बिक्री के संबंध में प्रतिबंध लगाया गया है।
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फिलाडेल्फिया कॉरिडोर
इजरायल और हमास के बीच हालिया युद्ध विराम की शर्तों में फिलाडेल्फिया कॉरिडोर से इजरायल की वापसी का भी प्रावधान है।

फिलाडेल्फिया कॉरिडोर के बारे में
- इस कॉरिडोर को मूल रूप से 1979 की इजरायल-मिस्र शांति संधि के तहत स्थापित किया गया था।
- यह गाजा-मिस्र सीमा के साथ भूमि की एक संकरी पट्टी है। यह लगभग 14 किलोमीटर लंबी और 100 मीटर चौड़ी है।
- यह कॉरिडोर दक्षिणी गाजा पट्टी और मिस्र के सिनाई प्रायद्वीप के बीच एक महत्वपूर्ण सीमा क्षेत्र के रूप में कार्य करता है।
- यह भूमध्य सागर से शुरू होकर इजरायल सीमा के साथ केरेम शालोम तक जाता है।
- 2005 में गाजा से इजरायली बस्तियों और सैनिकों की वापसी के बाद इसे विसैन्यीकृत सीमा क्षेत्र घोषित कर दिया गया था।
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- फिलाडेल्फिया कॉरिडोर
- 1979 की इजरायल-मिस्र शांति संधि
- केरेम शालोम
कीलिंग कर्व
कीलिंग कर्व रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) का स्तर रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया था। इसकी मुख्य वजहें जंगलों में लगी आग और इंसानी गतिविधियां थीं।
कीलिंग कर्व के बारे में
- यह समय के साथ पृथ्वी के वायुमंडल में CO₂ की मात्रा दर्शाने वाला एक ग्राफ है। इसमें CO₂ की मात्रा को पार्ट्स पर मिलियन (PPM) में मापा जाता है।
- हवाई द्वीप स्थित मौना लोआ वेधशाला में 1958 से लगातार CO₂ की मात्रा का मापन कार्य किया जा रहा है।
- इस कर्व का विकास चार्ल्स डेविड कीलिंग ने किया था।
- महत्त्व: यह वैश्विक वायुमंडल में परिवर्तन के सबसे मुख्य संकेतकों में से एक है।
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- चार्ल्स डेविड कीलिंग
- कीलिंग कर्व रिपोर्ट
- वायुमंडल
- मौना लोआ वेधशाला
अंतर्राष्ट्रीय ग्लेशियर संरक्षण वर्ष (International Year of Glaciers’ Preservation)
हाल ही में, संयुक्त राष्ट्र ने 2025 को ‘अंतर्राष्ट्रीय ग्लेशियर संरक्षण वर्ष’ के रूप में मनाने की घोषणा की।
- साथ ही, साल 2025 से शुरू होकर प्रत्येक वर्ष 21 मार्च को ‘विश्व ग्लेशियर दिवस’ के रूप में मनाने का भी निर्णय लिया गया है।
‘अंतर्राष्ट्रीय ग्लेशियर संरक्षण वर्ष’ के बारे में
- यह वर्ष यूनेस्को और विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया जाएगा।
- उद्देश्य:
- जलवायु की प्रणाली और जल विज्ञान चक्र में ग्लेशियरों की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में वैश्विक जागरूकता बढ़ाना; तथा
- पृथ्वी के क्रायोस्फीयर में परिवर्तन के आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभावों के बारे में वैश्विक जागरूकता बढ़ाना।
- ग्लेशियरों का महत्त्व: दुनिया में 2,75,000 से अधिक ग्लेशियर हैं। ये लगभग 700,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को कवर करते हैं। ये ग्लेशियर्स विश्व में 70% ताजे जल की आपूर्ति के स्रोत हैं।
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- अंतर्राष्ट्रीय ग्लेशियर संरक्षण वर्ष
- विश्व मौसम विज्ञान संगठन
- विश्व ग्लेशियर दिवस
- 21 मार्च
Articles Sources
फ्लोराइड
संयुक्त राज्य अमेरिका के नामित स्वास्थ्य मंत्री ने अमेरिकी जल-आपूर्ति में फ्लोराइड मिलाने पर रोक लगाने का सुझाव दिया है।
फ्लोराइड के बारे में
- फ्लोराइड जल, मृदा और हवा में प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला खनिज है। यह दांतों में कैविटी और दांतों की सड़न को रोकने में सहायक होता है ।
- साइड-इफ़ेक्ट: पेयजल और खाना पकाने के जल में फ्लोराइड की उच्च मात्रा के कारण आमतौर पर 6 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में फ्लोरोसिस (फ्लोराइड के कारण दांतों का बदरंग होना) हो सकता है।
- इसके अलावा इसके संपर्क में आने से गर्भ में पल रहे भ्रूण, शिशु और बच्चों के तंत्रिका-तंत्र का विकास भी अवरुद्ध हो सकता है।
- सेवन हेतु निर्धारित मानक: भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) के अनुसार, जल में फ्लोराइड की अधिकतम मात्रा 1 PPM (पार्ट्स पर मिलियन) या 1 मिलीग्राम प्रति लीटर होनी चाहिए। इसकी मात्रा जितनी कम होगी उतना बेहतर होगा।
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- फ्लोराइड
- फ्लोरोसिस
जूट की फसल
कैबिनेट ने कच्चे जूट का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 6% बढ़ाकर 5,650 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया।
जूट के बारे में
- जूट को भारत के स्वर्णिम रेशे के नाम से भी जाना जाता है।
- यह एक खरीफ फसल है।
- जलवायु दशाएं:
- जूट के लिए गर्म और आर्द्र जलवायु की आवश्यकता होती है। इसमें तापमान 15 से 34 डिग्री सेल्सियस के बीच होना चाहिए।
- जूट की खेती के लिए न्यूनतम 1,000 मिमी वर्षा की आवश्यकता होती है।
- मृदा: नदी घाटियों की मृदा या जलोढ़ या दोमट मृदा सबसे उपयुक्त हैं।
- प्रमुख जूट उत्पादक राज्य: इनमें पश्चिम बंगाल, बिहार, असम, त्रिपुरा, मेघालय, नागालैंड और ओडिशा शामिल हैं। भारत में उत्पादित कच्चे जूट का 50% से अधिक हिस्सा पश्चिम बंगाल में उत्पादित होता है।
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- MSP
- जूट
- स्वर्णिम रेशा
- खरीफ फसल
- जलोढ़ या दोमट मृदा
पंगसौ दर्रा
हाल ही में, अरुणाचल प्रदेश में तीन दिवसीय कार्यक्रम ‘पंगसौ दर्रा अंतर्राष्ट्रीय महोत्सव’ संपन्न हुआ।
पंगसौ दर्रे के बारे में
- स्थान: यह भारत-म्यांमार सीमा पर पटकाई पहाड़ी पर 3,727 फीट (1,136 मीटर) की ऊंचाई पर स्थित है।
- नाम की उत्पत्ति: इसका नाम म्यांमार के निकटवर्ती गांव, पंगसौ के नाम पर रखा गया है।
- ऐतिहासिक महत्त्व: ऐसा माना जाता है कि 13वीं शताब्दी में शान जनजाति (अहोम) द्वारा असम पर किए गए आक्रमण का मार्ग यही था।
- कनेक्टिविटी: ऐतिहासिक स्टिलवेल सड़क (लेडो सड़क) नाम्पोंग और पंगसौ दर्रे से होकर म्यांमार में प्रवेश करती है।
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- अरुणाचल प्रदेश
- पंगसौ दर्रा अंतर्राष्ट्रीय महोत्सव
- अहोम
कवचम
केरल ने रियल टाइम में आपदा अलर्ट के लिए ‘केरल चेतावनी, संकट और खतरा प्रबंधन प्रणाली (KaWaCHaM)’ शुरू की।
कवचम के बारे में
- इसे केरल राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (KSDMA) ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और विश्व बैंक के सहयोग से विकसित किया है।
- इसे राष्ट्रीय चक्रवात जोखिम न्यूनीकरण परियोजना (NCRMP) के अंतर्गत समर्थित किया गया है।
- यह खतरे का आकलन करेगा, अलर्ट जारी करेगा और खतरा-आधारित एक्शन प्लान प्रदान करेगा।
- यह अत्यधिक वर्षा जैसी मौसम की चरम घटनाओं के लिए अपडेटेड जानकारी भी प्रदान करेगा।
- इसकी प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं:
- सायरन-स्ट्रोब लाइट यूनिट्स का एक नेटवर्क;
- वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (VPN) के माध्यम से आपातकालीन संचालन केंद्र जुड़े हुए हैं;
- इसमें निर्णय समर्थन सॉफ्टवेयर और एक बड़ा डेटा सेंटर शामिल हैं आदि।
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- कवचम
- KaWaCHaM
- आपदा प्रबंधन प्राधिकरण
यूरोड्रोन
भारत यूरोड्रोन प्रोग्राम में पर्यवेक्षक सदस्य के रूप में शामिल हुआ।
- यूरोड्रोन या यूरोपियन मीडियम एल्टीट्यूड लॉन्ग एंड्योरेंस रिमोटली पायलेटेड एयरक्राफ्ट सिस्टम (MALE RPAS) एक ट्विन-टर्बोप्रॉप MALE मानवरहित हवाई वाहन (UAV) है।
- इसका उपयोग दीर्घकालिक मिशनों जैसे कि इंटेलिजेंस, निगरानी, लक्ष्य प्राप्ति और टोह (ISTAR), समुद्री निगरानी आदि के लिए किया जा सकता है।
यूरोड्रोन कार्यक्रम के बारे में
- सदस्य: यह चार देशों की पहल है। इसमें जर्मनी, फ्रांस, इटली और स्पेन शामिल हैं।
- नेतृत्व: ऑर्गनाइजेशन फॉर जॉइंट आर्मामेंट कोऑपरेशन (OCCAR) द्वारा।
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- यूरोड्रोन
- यूरोड्रोन प्रोग्राम
मन्नान समुदाय
मन्नान समुदाय के राजा और केरल के एकमात्र आदिवासी राजा रमन राजमन्नान दिल्ली में गणतंत्र दिवस परेड में भाग लेंगे।
मन्नान समुदाय के बारे में
- क्षेत्र: मुख्यतः इडुक्की जिले के कुमिली पंचायत में निवास करता है।
- भाषा: उनकी एक अनूठी बोली है, जो तमिल और मलयालम का मिश्रण है।
- व्यवसाय: वे कुशल कृषक हैं, जो विशेष रूप से पहाड़ी इलाकों में फसल उगाने में कुशल हैं।
- धर्म: वे मुख्य रूप से हिंदू धर्म का पालन करते हैं तथा शिव, विष्णु, भगवती और शास्त जैसे देवताओं की पूजा करते हैं।
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- मन्नान समुदाय
- आदिवासी राजा रमन राजमन्नान दिल्ली