CBDT ने दोहरे कराधान परिहार समझौतों (DTAAs) के तहत “प्रिंसिपल पर्पस टेस्ट’ के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए | Current Affairs | Vision IAS
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CBDT ने दोहरे कराधान परिहार समझौतों (DTAAs) के तहत “प्रिंसिपल पर्पस टेस्ट’ के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए

Posted 23 Jan 2025

12 min read

हाल ही में, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने भारत के दोहरे कराधान परिहार समझौतों (DTAAs) के तहत “प्रिंसिपल पर्पस टेस्ट’ के उपयोग पर संशोधित दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इन दिशा-निर्देशों का उद्देश्य कर चोरी रोकना है।  

  • नये दिशा-निर्देश भारत-साइप्रस DTAA, भारत-मॉरीशस DTAA और भारत-सिंगापुर DTAA के तहत कुछ प्रावधानों से छूट प्रदान करते हैं।
  • ये दिशा-निर्देश कर एजेंसियों को पूरक मार्गदर्शन के लिए बेस इरोजन प्रॉफिट शिफ्टिंग (BEPS) एक्शन-प्लान 6 के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र मॉडल टैक्स कन्वेंशन की मदद लेने के लिए भी प्रेरित करते हैं। हालांकि, इनका उपयोग भारत की शर्तों के तहत किया जाना चाहिए।  
    • BEPS एक्शन-प्लान 6 में DTAA प्रावधानों का दुरुपयोग करते हुए ‘ट्रीटी शॉपिंग’ की गतिविधियों को रोकने से संबंधित उपाय किए गए हैं।   
      • ट्रीटी शॉपिंग’: यदि कोई देश DTAA में शामिल न हो, लेकिन वहां की कोई कंपनी या रेजिडेंट इस समझौते का दुरुपयोग करते हुए निवेश के माध्यम से टैक्स से बचने का प्रयास करती/ करता है, तो उसे ट्रीटी शॉपिंग कहते हैं। 

प्रिंसिपल पर्पस टेस्ट (PPT) क्या है?

  • यह टैक्स पर अंतर्राष्ट्रीय नियमों का हिस्सा है। इसका उद्देश्य कर संधियों के दुरुपयोग को रोकना है।
  • यह “बेस इरोजन एंड प्रॉफिट शिफ्टिंग (BEPS) को रोकने हेतु कर संधि से संबंधित प्रावधानों को लागू करने वाले बहुपक्षीय कन्वेंशन” के तहत एक महत्वपूर्ण प्रावधान है। यह कन्वेंशन 1 अक्टूबर, 2019 को भारत के लिए लागू हुआ था।
    • इस कन्वेंशन ने कुछ देशों के साथ भारत के दोहरे कराधान परिहार समझौतों (DTAAs) को भी संशोधित किया है।
  • BEPS फ्रेमवर्क के तहत प्रिंसिपल पर्पस टेस्ट इस तथ्य का परीक्षण करता है कि क्या कोई बिजनेस अरेंजमेंट वास्तव में वाणिज्यिक उद्देश्य वाला है या उसका उद्देश्य करों से बचना है। 

दोहरा कराधान परिहार समझौता (DTAA) क्या है?

  • DTAA दो देशों या राज्यक्षेत्रों के बीच एक समझौता या संधि है। इसका उद्देश्य दो अलग-अलग देशों/ राज्यक्षेत्रों में एक ही संपत्ति पर दोहरे कराधान (यानी दो जगह कर लगाने) से बचना है।
  • DTAA का प्राथमिक उद्देश्य समझौते में शामिल प्रत्येक देश के कर अधिकारों को स्पष्ट रूप से परिभाषित करके करदाताओं पर कर का बोझ कम करना है। ऐसे समझौतों से विदेशी व्यापार, निवेश और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा मिलता है।
  • DTAA के मुख्य प्रावधानों में निम्नलिखित शामिल होते हैं: 
    • समझौते में शामिल देशों के बीच कर संग्रह अधिकारों का आवंटन, 
    • कर दरें निर्धारित करना, 
    • कर लगाने/ वसूलने वाली एजेंसियों के बीच कर-संबंधी सूचनाओं का आदान-प्रदान, आदि।
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