यह रिपोर्ट केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने जारी की है।
- यह रिपोर्ट भारत को विकासशील देशों में पहला ऐसा देश बनाती है, जिसने ‘आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD)’ के फ्रेमवर्क का डिजिटल अर्थव्यवस्था के नवीनतम आकार का आकलन करने के लिए उपयोग किया है।
- वैसे इस रिपोर्ट में OECD एप्रोच के अलावा कुछ अन्य पहलुओं को भी शामिल किया गया है। जैसे कि इसमें व्यापार; बैंकिंग, वित्तीय सेवाएं व बीमा (BFSI) जैसे पारंपरिक उद्योग और शिक्षा की डिजिटल अर्थव्यवस्था में हिस्सेदारी को भी शामिल किया गया है।

रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर:
- भारत में डिजिटल अर्थव्यवस्था की स्थिति:
- डिजिटल अर्थव्यवस्था ने 2022-23 में भारत की राष्ट्रीय आय में 11.74% का योगदान दिया था। 2024-25 तक इसके बढ़कर 13.42% तक होने का अनुमान है।
- ‘भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था की स्थिति रिपोर्ट 2024’ के अनुसार भारत वैश्विक स्तर पर तीसरा सबसे डिजिटलाइज्ड देश है।
- प्रमुख क्षेत्रक/ घटक:
- डिजिटल रूप से सक्षम उद्योग: इनमें सूचना व संचार प्रौद्योगिकी (ICT) सेवाएं, दूरसंचार आदि शामिल हैं। देश के सकल मूल्य वर्धन (GVA) में इनका 7.83% का महत्वपूर्ण योगदान है।
- बिग टेक कंपनियां, डिजिटल प्लेटफॉर्म जैसे नए डिजिटल उद्योग।
- पारंपरिक क्षेत्रकों के डिजिटलीकरण ने राष्ट्रीय GVA में अतिरिक्त 2% का योगदान दिया है।
- रोजगार के अवसर: डिजिटल क्षेत्रक ने वित्त वर्ष 2022-23 में 14.67 मिलियन (1.46 करोड़) लोगों को रोजगार प्रदान किया था, जो देश के कुल कार्यबल का 2.55% है।
- अनुमानित वृद्धि: वित्त वर्ष 2029-30 तक डिजिटल अर्थव्यवस्था द्वारा राष्ट्रीय आय में लगभग 20% (1/5 हिस्सा) का योगदान देने का अनुमान है। इस तरह यह कृषि और विनिर्माण क्षेत्रकों से आगे निकल जाएगी।
रिपोर्ट में की गई प्रमुख सिफारिशें:
- सभी लोगों तक उच्च गुणवत्ता वाली ब्रॉडबैंड सेवाएं पहुंचाने की आवश्यकता है।
- डेटा की कमी को दूर करने के लिए नए डेटा को संग्रहित और एकत्रित करके सामंजस्य स्थापित करना चाहिए आदि।