इस रिपोर्ट में एकीकृत वित्तीय प्रणाली की मांग की गई है तथा एकीकरण को बढ़ावा देने के लिए नीति निर्माताओं को व्यापक सिद्धांत सुझाए गए हैं।
फ्रेगमेंटेशन ऑफ ग्लोबल फाइनेंशियल सिस्टम (GFS) क्या है?
- अर्थ: इसे आर्थिक रूप से समरूप (या समान) परिसंपत्तियों की कीमतों में या सीमाओं के पार पूंजी की मुक्त आवाजाही आदि में अलग-अलग क्षेत्राधिकारों में मौजूद विभिन्नताओं के स्तर के रूप में समझा जा सकता है।
- इसके कारण प्रशुल्क, आर्थिक प्रतिबंध और निर्यात नियंत्रण बढ़ जाते हैं। इससे सीमा-पार निवेश में बाधा उत्पन्न होती है।
फ्रेगमेंटेशन ऑफ ग्लोबल फाइनेंशियल सिस्टम (GFS) पर हालिया रुझान
- आर्थिक शासन: यह किसी देश द्वारा अपनी विदेश नीति और घरेलू उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए आर्थिक साधनों एवं नीतियों का उपयोग है। उदाहरण के लिए- प्रतिबंधों, संरक्षण आदि का उपयोग।
- बढ़ती बहुध्रुवीयता: वैश्विक विदेशी मुद्रा भंडारों में डॉलर की हिस्सेदारी 71% (1999) से घटकर 58% (2024) हो गई है, जो को बढ़ती बहुध्रुवीयता को दर्शाती है।
- भू-राजनीतिक घटनाएं: कोविड-19 महामारी और उसके बाद आपूर्ति-श्रृंखला में व्यवधान; घरेलू अर्थव्यवस्थाओं का लचीलापन बढ़ाने के लिए औद्योगिक नीतियां (उदाहरण के लिए- मेड इन चाइना, 2025) आदि।
- कमजोर होता ग्लोबल गवर्नेंस: 2019 के बाद से, विश्व व्यापार संगठन का अपीलीय निकाय निर्णय जारी करने में असमर्थ रहा है। इससे क्षेत्रीय व्यापार गुटों के गठन में तेजी आई है।
फ़्रैगमेंटेड या खंडित GFS से संबंधित समस्याएं

- मैक्रोइकॉनॉमिक्स अर्थशास्त्र: इससे वैश्विक उत्पादन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। साथ ही, इससे अल्पावधि में वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में लगभग 5% की कमी आ सकती है।
- उभरते बाजारों और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं पर प्रभाव: पूंजी और निवेश तक पहुंच के बिना, ये अंतर्राष्ट्रीय नियम-आधारित प्रणाली के बाहर से वित्तीय सहायता प्राप्त कर सकते हैं।
- वित्तीय संस्थाओं पर प्रभाव: इससे वित्तीय मध्यस्थता की सुविधा प्रदान करने की उनकी क्षमता कम हो जाती है। साथ ही, उन्हें ऋण, मुद्रा और दिवालियापन संबंधी जोखिम आदि का सामना करना पड़ता है।
ग्लोबल फाइनेंशियल सिस्टम (GFS) एकीकरण को बढ़ावा देने हेतु मुख्य सिफारिशें
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