नए सदस्यों में अंगोला, बांग्लादेश, गैबॉन, ग्वाटेमाला, केन्या, सेनेगल और तंजानिया शामिल हैं।
ग्लोबल प्लास्टिक एक्शन पार्टनरशिप (GPAP) के बारे में
- शुरुआत: इसे 2018 में विश्व आर्थिक मंच द्वारा आयोजित “सतत विकास प्रभाव शिखर सम्मेलन” के दौरान लॉन्च किया गया था।
- GPAP “प्लेटफॉर्म फॉर एक्सीलेरेटिंग द सर्कुलर इकोनॉमी’ और “फ्रेंड्स ऑफ ओशन एक्शन” के प्लास्टिक पिलर के रूप में कार्य करती है।
- वर्तमान सदस्य: इसके 25 सदस्य हैं। इनमें देश का महाराष्ट्र राज्य भी शामिल है।
- इसके निम्नलिखित उद्देश्य हैं:
- सरकारों, व्यवसाय जगत और नागरिक समाज को एक साथ लाकर प्लास्टिक प्रदूषण संकट से निपटने के लिए वैश्विक कार्रवाई को तेज करना;
- सर्कुलर प्लास्टिक इकॉनमी की दिशा में आगे बढ़ना, ताकि उत्सर्जन में कमी हो सके। साथ ही, भूमि व महासागरीय पारिस्थितिकी-तंत्र की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
- प्रमुख कार्य: देशों को राष्ट्रीय कार्रवाई रोडमैप तैयार करने और अपशिष्ट प्रबंधन के लिए फंड जुटाने में मदद करना।
विश्व में प्लास्टिक अपशिष्ट से निपटने में आने वाली चुनौतियां
- बढ़ते प्लास्टिक अपशिष्ट के प्रबंधन की सीमित क्षमता: OECD की ग्लोबल प्लास्टिक आउटलुक रिपोर्ट, 2022 के अनुसार 2000 से 2019 के बीच विश्व में प्लास्टिक अपशिष्ट की मात्रा दोगुने से अधिक हो गई है।
- नेचर पत्रिका में प्रकाशित एक स्टडी के अनुसार, 2024 में भारत दुनिया का सबसे बड़ा प्लास्टिक उत्सर्जक देश बन गया था।
- प्लास्टिक अपशिष्ट की कम रीसाइक्लिंग:
- केवल 9% प्लास्टिक अपशिष्ट की रीसाइक्लिंग की गई है;
- 19% प्लास्टिक अपशिष्ट को जलाया गया; तथा
- लगभग 50% प्लास्टिक अपशिष्ट को सैनिटरी लैंडफिल्स में डाल दिया गया।
प्लास्टिक अपशिष्ट के प्रभाव
- पर्यावरण पर प्रभाव:
- यह भूमि, ताजे जल और समुद्री पारिस्थितिकी-तंत्र को प्रदूषित करता है।
- यह जैव विविधता हानि, पारिस्थितिकी-तंत्र के निम्नीकरण और जलवायु परिवर्तन के लिए भी जिम्मेदार है।
- प्लास्टिक प्रदूषण प्रति वर्ष अनुमानित 1.8 बिलियन टन ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार है। लैंडफिल्स से उत्सर्जित मीथेन विशेष रूप से उत्तरदायी है।
- स्वास्थ्य पर प्रभाव: प्लास्टिक माइक्रोप्लास्टिक के रूप में खाद्य श्रृंखला में प्रवेश करके जानवरों और मानव स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है।
- अर्थव्यवस्था पर प्रभाव: पर्यटन, मात्स्यिकी, कृषि और जल सुरक्षा जैसे क्षेत्रकों से होने वाली आय में गिरावट दर्ज की जाती है।
प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन के लिए भारत की पहलें
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