प्रारंभ में यह सबमर्सिबल यान 500 मीटर की गहराई तक कार्य करेगा। बाद में डीप ओशन मिशन (DOM) के तहत इसके 6,000 मीटर की गहराई तक पहुंचने का लक्ष्य रखा गया है।
- इससे पहले, भारत ने गहरे समुद्र में खोज के लिए चेन्नई में अपना पहला और अनूठा मानवयुक्त ओशन मिशन “समुद्रयान” लॉन्च किया था।
डीप ओशन मिशन (DOM) के बारे में
- परिचय: यह पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय का फ्लैगशिप कार्यक्रम है। इसे 2021 में पांच साल की अवधि के लिए लॉन्च किया गया था।
- नोडल मंत्रालय: पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय।
- प्रधान मंत्री की विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार सलाहकार परिषद (PMSTIAC) के तहत 9 मिशनों में ‘डीप ओशन मिशन’ भी शामिल है।
- उद्देश्य: समुद्र की गहराई में पाए जाने वाले संसाधनों की खोज करना। इन संसाधनों में क्रिटिकल मिनरल्स, दुर्लभ धातुएं और अज्ञात समुद्री जैव विविधता शामिल हैं।

मिशन के प्रमुख पिलर्स
- गहरे समुद्र में खनन के लिए प्रौद्योगिकियों और मानव को समुद्र की गहराई तक ले जाने वाली सबमर्सिबल का विकास करना।
- यह सबमर्सिबल यान तीन लोगों को हिंद महासागर में 6,000 मीटर की गहराई तक ले जा सकेगा।
- यह यान पॉलिमैटेलिक नोड्यूल्स के खनन में सहायक सेंसर्स और उपकरणों से लैस होगा।
- महासागरीय जलवायु परिवर्तन पर परामर्श सेवाओं का विकास: इनमें कई प्रकार के महासागरीय पर्यवेक्षण और मॉडल्स शामिल होंगे।
- गहरे समुद्र की जैव विविधता की खोज और संरक्षण के लिए तकनीकी नवाचार।
- हिंद महासागर के मध्य-महासागरीय कटकों में बहु-धात्विक हाइड्रोथर्मल सल्फाइड खनिजीकरण (Mineralisation) के संभावित स्थलों की पहचान के लिए गहरे समुद्र में सर्वेक्षण व खोज करना।
- महासागरीय जल से ऊर्जा का उत्पादन करना और तकनीकों की मदद से महासागरीय जल को पेयजल बनाने के लिए प्रयास करना।
- ओशन बायोलॉजी और ब्लू बायोटेक्नोलॉजी में नए अवसर पैदा करने के लिए उन्नत मरीन स्टेशन की स्थापना करना।