पश्चिमी विक्षोभ (WD) निम्न दाब वाली गैर-मानसूनी प्रणालियां हैं। ये मध्य अक्षांशीय क्षेत्रों में उत्पन्न होते हैं और भारत में शीतकालीन वर्षा करते हैं। इसे स्थानीय रूप से महावात कहा जाता है।

- इनके लिए ‘विक्षोभ' शब्द का प्रयोग इसलिए किया जाता है, क्योंकि निम्न दाब प्रणालियों (वाताग्र, अवदाब और चक्रवात) के भीतर की पवन अस्थिर होती है।
पश्चिमी विक्षोभ के बारे में
- उत्पत्ति: पश्चिमी विक्षोभ भूमध्य सागर क्षेत्र में विपरीत विशेषताओं वाली वायुराशियों के बीच परस्पर क्रिया के कारण बनता है।
- निर्माण प्रक्रिया: यूक्रेन पर मौजूद उच्च दाब क्षेत्र के चलते ठंडी ध्रुवीय पवनें गर्म क्षेत्रों में प्रवेश करती हैं। इससे अस्थिरता उत्पन्न होती है और चक्रवाती तूफान के लिए आदर्श दशाएं बन जाती हैं तथा पश्चिमी विक्षोभ का निर्माण होता है।
- उपोष्ण-कटिबंधीय पश्चिमी जेट (Subtropical Westerly Jet): पश्चिमी विक्षोभ मध्य अक्षांश (20° अक्षांश से ऊपर) पर उपोष्णकटिबंधीय पश्चिमी जेट (SWJ) के साथ पूर्व दिशा की ओर आगे बढ़ते हैं।
- उपोष्ण-कटिबंधीय पश्चिमी जेट: यह ऊपरी वायुमंडल में 20° और 40° अक्षांश के बीच पश्चिम से पूर्व की ओर चलने वाली अत्यंत तीव्र विशाल पवन धारा (जेट स्ट्रीम) है।
- आर्द्रता के स्रोत: ये प्रणालियां भारत में पहुंचने से पहले अपने मार्ग में पश्चिम एशिया, ईरान, अफगानिस्तान और पाकिस्तान से गुजरते हुए कैस्पियन सागर (उत्तर) तथा फारस की खाड़ी (दक्षिण) से अतिरिक्त आर्द्रता ग्रहण कर लेती हैं।
- हिमालयी अवरोध: हिमालय तक पहुंचने पर विक्षोभ अवरुद्ध हो जाते हैं। इससे मैदानी इलाकों में वर्षा (पर्वतीय वर्षा) और पश्चिमी हिमालय में बर्फबारी होती है।