भारत में अवैध आप्रवासन के हॉटस्पॉट राज्य हैं- गुजरात, पंजाब, हरियाणा आदि।
- ऐसे प्रवासी संयुक्त राज्य अमेरिका पहुंचने के लिए ज्यादातर "डंकी रूट" का इस्तेमाल करते हैं, जो कि लैटिन अमेरिकी देशों से होकर गुजरता है।
- इक्वाडोर, बोलीविया और गुयाना जैसे देशों में भारतीय नागरिकों के लिए वीजा ऑन अराइवल की सुविधा है। ब्राजील और वेनेजुएला में भारतीयों को आसानी से पर्यटक वीजा मिल जाता है।
- इसके अतिरिक्त, एक प्रवासी की विकसित देशों में अवैध यात्रा अक्सर मानव तस्करी नेटवर्क द्वारा निर्धारित होती है। इसमें उनके एजेंट शामिल होते हैं।
अवैध प्रवास के लिए जिम्मेदार कारक
- बेहतर अवसर: भारत में पर्याप्त रोजगार एवं आर्थिक संभावनाओं की कमी जैसे कई कारक मौजूद हैं जो व्यक्तियों को संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देशों में बेहतर रोजगार की संभावनाएं खोजने के लिए बाध्य करते हैं।
- सीमित वैध माध्यम: धीमी और अनिश्चित वीजा प्रक्रिया लोगों को अवैध माध्यम अपनाने के लिए मजबूर करती है।
- सफलता की संस्कृति: कुछ समुदाय (जैसे गुजरात में पटेल) सामाजिक दबाव के कारण पारिवारिक जमीन बेचने या ऋण लेकर प्रवास करने को मजबूर होते हैं।
ऐसे प्रवास से उत्पन्न होने वाले परिणाम
- प्रवासियों को डकैती, हमले और यहां तक कि महिला प्रवासियों को बलात्कार का भी खतरा होता है। साथ ही, ऐसे अपराधों की अक्सर रिपोर्टिंग नहीं की जाती है।
- सफलतापूर्वक अमेरिका पहुंचने की यात्रा में 8-10 दिन लगते हैं। इस दौरान प्रवासियों की मृत्यु होने पर उनके शवों को घर नहीं भेजा जाता है।
- अवैध तरीके से विकसित देश जाने वाले लोगों की बड़ी संख्या के कारण मानव तस्करी का नेटवर्क फल-फूल रहा है।
- एजेंट और मानव तस्कर अत्यधिक शुल्क लेते हैं तथा नौकरी एवं वैध प्रवासी दर्जा दिलाने का वादा करते हैं।
