यह जानकारी नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने दी है। यह उपलब्धि (इन्फोग्राफिक्स देखें) 2030 तक 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा क्षमता के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
भारत के लिए सौर ऊर्जा का महत्त्व

- भविष्य की ऊर्जा आवश्यकताएं: भारत का ऊर्जा उपयोग वैश्विक औसत का तीन गुना है। साथ ही, अगले 20 वर्षों में ऊर्जा की वैश्विक मांग में भारत की 25% हिस्सेदारी होगी। उल्लेखनीय है कि सौर ऊर्जा आत्मनिर्भरता बढ़ाने में मदद करती है और पर्यावरणीय प्रभाव को कम करती है।
- उत्सर्जन संबंधी लक्ष्य: अपडेटेड राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदानों के अंतर्गत, भारत का लक्ष्य 2030 तक उत्सर्जन तीव्रता (Emissions intensity) में 45% की कटौती करना तथा 50% गैर-जीवाश्म ईंधन क्षमता प्राप्त करना है।
- जल सुरक्षा: कोयले के विपरीत, सौर ऊर्जा जल पर निर्भर नहीं होती। इससे जल की कमी से निपटने में मदद मिलती है।
- ग्रामीण विद्युतीकरण: तेजी से क्षमता विस्तार के साथ ऑफ-ग्रिड विद्युत उत्पादन को समर्थन मिल रहा है। इससे दूरदराज के क्षेत्रों को लाभ होता है।
सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई पहलें
- पीएम सूर्य घर-मुफ्त बिजली योजना: इसके तहत मार्च 2027 तक 1 करोड़ घरों को सौर ऊर्जा उपलब्ध कराने का लक्ष्य तय किया गया है।
- सौर पार्क योजना: इसके तहत वैधानिक मंजूरी के साथ डेवलपर्स के लिए तैयार अवसंरचना उपलब्ध कराई जाती है।
- प्रत्यक्ष विदेशी निवेश: इस क्षेत्रक में स्वचालित मार्ग के तहत 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की अनुमति है।
- ग्रीन टर्म अहेड मार्केट (GTAM): यह एक्सचेंजों के माध्यम से सौर ऊर्जा व्यापार को सक्षम बनाता है।
हालांकि स्थापना संबंधी अधिक लागत, भूमि अधिग्रहण की चुनौतियां, ग्रिड संबंधी अस्थिरता, हीट वेव्स एवं आयातित सौर पैनल्स पर निर्भरता जैसी समस्याओं को हल करने के लिए और अधिक उपाय किए जाने की आवश्यकता है।