2013-14 में भारत में मछली उत्पादन 95.7 लाख टन था, जो 2023-24 में लगभग दोगुना होकर 184 लाख टन से अधिक हो गया।
वैश्विक मात्स्यिकी क्षेत्रक में भारत की भूमिका
- भारत वैश्विक मछली उत्पादन में लगभग 8% हिस्सेदारी के साथ दूसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश है।
- प्रमुख मछली उत्पादक राज्य: आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक आदि।
- अंतर्देशीय मत्स्य पालन कुल मत्स्य उत्पादन में 75% से अधिक का योगदान देता है।
- वैश्विक स्तर पर भारत- जलीय कृषि उत्पादन के मामले में दूसरे स्थान पर है, झींगा उत्पादन में अग्रणी है और मछली पकड़ने के उत्पादन में तीसरे स्थान पर है।
मात्स्यिकी क्षेत्रक में मौजूद चुनौतियां
- पर्यावरण: प्लास्टिक प्रदूषण, पारंपरिक मछली पकड़ने से कार्बन उत्सर्जन और जल प्रदूषण आदि।
- आर्थिक: मत्स्य क्षेत्रक की असंगठित प्रकृति, छोटे पैमाने पर निर्वाह हेतु मछली पकड़ना, आवश्यक बुनियादी ढांचे का अभाव, उच्च परिवहन एवं विपणन लागत आदि।
- अन्य: अवैध, असूचित और अविनियमित (IUU) मत्स्यन तथा जलवायु परिवर्तन मत्स्य संपदा से संपन्न समुद्री क्षेत्रों को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रहे हैं।
मात्स्यिकी क्षेत्रक के संवर्धन हेतु शुरू की गई पहलें
- प्रधान मंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (PMMSY): जलीय कृषि की उत्पादकता को बढ़ाना, मात्स्यिकी प्रबंधन में सुधार करना, एकीकृत एक्वा पार्क्स स्थापित करना आदि।
- प्रधान मंत्री मत्स्य किसान समृद्धि योजना (PM-MKSSY) प्रधान मंत्री मत्स्य सम्पदा योजना की एक उप-योजना है। इसका उद्देश्य वित्तीय और तकनीकी हस्तक्षेप के माध्यम से मत्स्य क्षेत्रक में मौजूद कमियों को दूर करना है।
- नीली क्रांति योजना: यह समुद्री और अंतर्देशीय मत्स्यन दोनों को कवर करते हुए मात्स्यिकी के विकास एवं प्रबंधन के लिए एकीकृत दृष्टिकोण को लागू करती है।
- फिशरीज एंड एक्वाकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड (FIDF): यह समुद्री और अंतर्देशीय मत्स्यन दोनों में अवसंरचना के निर्माण के लिए वित्त की उपलब्धता सुनिश्चित करता है।
- राष्ट्रीय समुद्री मात्स्यिकी नीति, 2017: यह नीति भारत के समुद्री मत्स्य संसाधनों के संरक्षण और प्रबंधन का मार्गदर्शन करती है।