यह निष्कर्ष अंटार्कटिका के दक्षिण सैंडविच द्वीप समूह के पास 1991 से 2024 के बीच बार-बार आए 121 भूकंपों के आंकड़ों की जांच से सामने आया है।
इस अध्ययन के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर
- पृथ्वी के आंतरिक कोर की बाहरी सतह उतनी ठोस नहीं है, जितनी पहले अनुमान लगाया गया था।
- ठोस आंतरिक कोर में परिवर्तन अस्थिर-पिघले हुए बाहरी कोर के साथ परस्पर क्रिया के कारण हो रहे हैं।
- संभवतः इससे आंतरिक कोर का घूर्णन प्रभावित हो रहा है और दिन-रात की लंबाई में परिवर्तन हो सकता है।
- पृथ्वी के आंतरिक कोर का स्वतंत्र रूप से घूर्णन धीमा होता जा रहा है।
- पहले यह माना जाता था कि यह मेंटल के साथ परस्पर क्रिया के कारण स्वतंत्र रूप से घूर्णन करता है।
- इस निष्कर्ष का महत्त्व: यह अध्ययन पहले की धारणाओं को चुनौती देता है, जिसमें कहा गया था कि आंतरिक कोर में संरचनात्मक परिवर्तन केवल भूवैज्ञानिक समय (लंबे समय) में ही होते हैं।

पृथ्वी के आंतरिक कोर के बारे में
- यह पृथ्वी के भीतर अन्य ऊपरी परतों द्वारा उत्पन्न दबाव के कारण पृथ्वी की सबसे भीतरी या अंतरतम ठोस परत है।
- संरचना: मुख्य रूप से लौह और निकल धातुओं से बना है।
- त्रिज्या: लगभग 1,220 किलोमीटर।
- तापमान: लगभग 5,200° सेल्सियस।
- गुण: उच्च तापीय और विद्युत चालकता; पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र आदि को उत्पन्न करने में सहायक।
पृथ्वी की परतें
- रासायनिक संरचना के आधार पर:
- भूपर्पटी (क्रस्ट): यह अधिकांशतः बेसाल्ट और ग्रेनाइट जैसी ठोस चट्टानों से बनी पृथ्वी की सबसे बाहरी परत है।
- मेंटल: यह भूपर्पटी और कोर के बीच स्थित है। इसमें गर्म, सघन और लौह व मैग्नीशियम युक्त ठोस चट्टानें शामिल हैं।
- कोर: यह पृथ्वी की सबसे भीतरी परत है। इसमें तरल बाहरी कोर और ठोस आंतरिक कोर होते हैं।
- भौतिक/ यांत्रिक गुणों के आधार पर:
- स्थलमंडल: यह पृथ्वी की सबसे बाहरी भौतिक परत है।
- दुर्बलतामंडल: यह पृथ्वी के मेंटल का वह भाग है, जो ठोस होने के बावजूद पिघले हुए प्लास्टिक की तरह होता है।