इस शोध-पत्र में महिला श्रमबल भागीदारी दर (LFPR) को बढ़ाने के समक्ष प्रमुख बाधाओं को उजागर किया गया है। साथ ही, इसमें नीति-निर्माताओं के लिए भारत की अप्रयुक्त महिला कार्यबल क्षमता का लाभ उठाने हेतु उपाय भी प्रदान किए गए हैं।
इस शोध-पत्र के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर
- स्थिति: भारत की महिला श्रम बल भागीदारी दर 37% है। यह वैश्विक औसत 47% और आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (OECD) के औसत 67% से काफी कम है।
- महिला श्रमबल भागीदारी दर (LFPR) को बढ़ाने के समक्ष प्रमुख बाधाएं:
- अवैतनिक देखभाल जिम्मेदारियां: टाइम यूज इन इंडिया रिपोर्ट 2019 के अनुसार, भारतीय महिलाएं पुरुषों की तुलना में अवैतनिक देखभाल कार्यों में दोगुने से अधिक समय व्यतीत करती हैं।
- भारत में औपचारिक रूप से पार्ट-टाइम काम करने के विकल्पों का अभाव: भारतीय महिलाएं अनौपचारिक व अनिश्चित नौकरियों में फंस जाती हैं, जहां उन्हें न तो नौकरी की सुरक्षा मिलती है और न ही सामाजिक लाभ।
- इन दोनों समस्याओं को हल करने से महिला श्रम बल में भागीदारी दर को 6% तक बढ़ाया जा सकता है।
इस शोध-पत्र में की गई नीतिगत सिफारिशें:
- पार्ट-टाइम काम करने को औपचारिक बनाना: इसके लिए प्रति घंटे के अनुसार एक निश्चित स्तर पर वेतन निर्धारित करना; नौकरी की सुरक्षा सुनिश्चित करना और सामाजिक सुरक्षा लाभों तक पहुंच प्रदान करना जैसे उपाय किए जा सकते हैं।
- देखभाल संबंधी अवसंरचना में निवेश करना: सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्रकों में बच्चों की देखभाल और बुजुर्गों के लिए सस्ती देखभाल सुविधाओं में निवेश करने से निजी कंपनियों और मैक्रोइकॉनॉमिक्स को लाभ होगा।
- देखभाल में लैंगिक समानता को बढ़ावा देना: माता-पिता दोनों के लिए सवैतनिक पैटर्नल अवकाश, कर प्रोत्साहन जैसी नीतियां बनाई जानी चाहिए।
- फ्लेक्सिबल वर्क पॉलिसी को अपनाना। जैसे रिमोट वर्क और एडजेस्टेबल वर्क शेड्यूल को अपनाना चाहिए।
FLFPR बढ़ाने के लिए भारत द्वारा उठाए गए कदम:
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