नया विधेयक व्यवसाय करने की सुगमता को बढ़ाने के उद्देश्य से 60 साल पुराने आयकर अधिनियम, 1961 को निरस्त करने पर केंद्रित है। उल्लेखनीय है कि आयकर विधेयक, 2025 की भाषा को सरल रखा गया है तथा अस्पष्टताओं को हटाने का प्रयास किया गया है।
नए विधेयक की आवश्यकता क्यों है?
- मौजूदा आयकर अधिनियम, 1961 में अनेक संशोधन हो चुके हैं। इससे इसकी मूल संरचना ही बदल गई है।
- आयकर अधिनियम, 1961 की भाषा जटिल है। इससे करदाताओं के लिए कानून के अनुपालन की लागत बढ़ जाती है और प्रत्यक्ष कर प्राधिकारियों (direct-tax authorities) की दक्षता भी नकारात्मक रूप से प्रभावित होती है।
नए विधेयक की मुख्य विशेषताओं पर एक नजर
- संक्षिप्त: मौजूदा विधेयक, आयकर अधिनियम, 1961 से 283 धाराएं एवं 24 अध्यायों को हटाने का प्रावधान करता है।
- भाषा सरलीकरण: 'वित्त वर्ष' और 'मूल्यांकन वर्ष' जैसी मौजूदा शब्दावली के स्थान पर 'कर वर्ष' जैसी शब्दावली को जोड़ा गया है।
- विस्तृत रूपरेखा: कर योग्य आय, अनुपालन नियम और वाणिज्यिक गतिविधियों पर प्रतिबंधों को स्पष्ट रूप से परिभाषित करता है।
- वर्चुअल डिजिटल परिसंपत्तियों के लिए प्रावधान: यह विधेयक "वर्चुअल डिजिटल परिसंपत्ति" को परिभाषित करता है। साथ ही, उन पर कराधान के लिए स्पष्ट प्रावधान भी करता है।
- टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं: यह मौजूदा टैक्स स्लैब और कर में छूट संबंधी संरचनाओं को बरकरार रखता है, उपयोगिता में सुधार करते हुए निरंतरता बनाए रखता है आदि।
- अनावश्यक धाराओं को हटाना: अधिनियम को सरल बनाने के लिए 'फ्रिंज बेनिफिट टैक्स' जैसे पुराने प्रावधानों को हटा दिया गया है।
- अन्य: आसानी से पढ़ी जा सकने वाली तालिकाओं का उपयोग किया गया है तथा इसमें करदाताओं के चार्टर को शामिल किया गया है। इस चार्टर में करदाताओं की जिम्मेदारियों और अधिकारों का उल्लेख है। इसके अलावा, वैकल्पिक विवाद समाधान के लिए भी प्रावधान किए गए हैं।