इस रिपोर्ट का शीर्षक “राज्यों में पंचायतों को अधिकारों और संसाधन के हस्तांतरण की स्थिति-सांकेतिक साक्ष्य आधारित रैंकिंग” है। इस रिपोर्ट में इस बात का गहन विश्लेषण किया गया है कि 73वें संविधान संशोधन के तहत पंचायतें अपनी संवैधानिक भूमिकाएं निभाने में कितनी सक्षम हैं।
इस रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर
- पंचायत हस्तांतरण सूचकांक: यह राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों को ‘अधिकारों के हस्तांतरण (Devolution) के निम्नलिखित 6 आयामों के आधार पर रैंक प्रदान करता है।
- फ्रेमवर्क, कार्य, वित्त, पदाधिकारी, क्षमता वृद्धि और जवाबदेही।
- पंचायतों को हस्तांतरण 2013-14 में 39.9% था, जो 2021-22 के दौरान बढ़कर 43.9% तक हो गया था।
- पंचायतों को हस्तांतरण के मामले में शीर्ष 3 राज्य कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु हैं।
- क्षमता में वृद्धि: यह राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान (RGSA) जैसी पहलों के चलते 44% से बढ़कर 54.6% हो गई है।
प्रभावी हस्तांतरण सुनिश्चित करने के समक्ष प्रमुख समस्याएं
- चुनाव-प्रबंधन: राज्य चुनाव आयोगों (SECs) को पंचायत चुनाव की तारीखों को लेकर कभी-कभी राज्य सरकारों से परामर्श करना पड़ता है। इसके कारण देरी या राजनीतिक हस्तक्षेप की संभावना बढ़ जाती है।
- जिला नियोजन समितियां: यद्यपि जिला नियोजन समितियां लगभग सभी राज्यों में गठित की गई हैं, लेकिन इनके द्वारा जमीनी स्तर की योजना कहीं भी नहीं बनाई गई हैं।
- ज्ञातव्य है कि संविधान का अनुच्छेद 243ZD जिला नियोजन समितियों का गठन अनिवार्य करता है।
- पंचायतों की गैर-केंद्रीयता: वर्तमान में कई समानांतर निकाय (ऐसी संस्थाएं जिनके कार्य क्षेत्र पंचायतों के कार्य क्षेत्र से ओवरलैप करते हैं) पंचायतों के लिए निर्धारित ग्यारहवीं अनुसूची के विषयों पर काम कर रहे हैं। इससे संविधान के तहत पंचायतों के लिए निर्धारित कार्य बाधित होते हैं।
इस रिपोर्ट में की गई मुख्य सिफारिशें:
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