यह योजना 2015 में राजस्थान के सूरतगढ़ में शुरू की गई थी। इसका उद्देश्य देश के सभी किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी करने में राज्य सरकारों की सहायता करना है।
- मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना (SHCS) को वर्ष 2022-23 से राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY) में समाहित कर दिया गया है। इसे ‘मृदा स्वास्थ्य एवं उर्वरता’ नामक घटक के रूप में RKVY में शामिल किया गया है।
मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना (SHCS) के बारे में:

- मंत्रालय: यह केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की योजना है।
- उद्देश्य:
- सभी किसानों को प्रत्येक दो वर्ष में मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी करना।
- पोषक तत्वों के दक्ष उपयोग को बढ़ाने के लिए मृदा परीक्षण आधारित पोषक तत्व प्रबंधन को विकसित करना और बढ़ावा देना।
- योजना के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर
- मृदा स्वास्थ्य कार्ड: यह किसानों को उनकी मृदा में पोषक तत्वों की स्थिति के बारे में जानकारी प्रदान करता है। साथ ही, यह मृदा के स्वास्थ्य को सुधारने के लिए पोषक तत्वों की उचित मात्रा की सिफारिश भी करता है।
- इस कार्ड में 12 मापदंडों के अनुसार मृदा की स्थिति बताई जाती है:
- मुख्य पोषक तत्व: नाइट्रोजन (N), फॉस्फोरस (P), पोटेशियम (K), और सल्फर (S);
- सूक्ष्म पोषक तत्व: जिंक (Zn), आयरन (Fe), कॉपर (Cu), मैंगनीज (Mn), और बोरोन (Bo);
- अन्य मापदंड: pH मान (अम्लीयता या क्षारीयता), EC (विद्युत चालकता), और OC (आर्गेनिक कार्बन)।
- मृदा स्वास्थ्य कार्ड को एक समान और मानकीकृत प्रारूप में तैयार करने के लिए गांव स्तर पर मृदा परीक्षण प्रयोगशालाओं की स्थापना की गई है और मृदा स्वास्थ्य कार्ड पोर्टल शुरू किया गया है।
- कार्यान्वयन: सभी राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों के कृषि विभाग द्वारा किया जाता है।
मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना की प्रमुख उपलब्धियां
- अब तक 24.74 करोड़ मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी किए जा चुके हैं।
- किसानों को 2020-21 में 16 लाख मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी किए गए थे। यह संख्या 2024-25 में बढ़कर 53 लाख हो गई थी।
- भारतीय मृदा एवं भूमि उपयोग सर्वेक्षण विभाग ने 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 1,987 गांव-स्तरीय मृदा उर्वरता मानचित्र तैयार किए हैं।